आयुर्वेद को वैश्विक अधिकार दिलाने शुद्ध चिकित्सा पद्धति की जरूरत - भागवत

Need of pure medical system to give global authority to Ayurveda - Bhagwat
आयुर्वेद को वैश्विक अधिकार दिलाने शुद्ध चिकित्सा पद्धति की जरूरत - भागवत
नागपुर आयुर्वेद को वैश्विक अधिकार दिलाने शुद्ध चिकित्सा पद्धति की जरूरत - भागवत

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भारतीय जनमानस में आयुर्वेद का चलन बढ़ा है। इस चिकित्सा पद्धति में सुलभता लाना जरूरी है। डॉक्टरों को आयुर्वेद की शुद्ध चिकित्सा पद्धति पर काम करना चाहिए, तभी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मान्यता व अधिकार मिलेगा। ऐसा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा। आयुर्वेद व्यासपीठ के रजत जयंती वर्ष पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय के सहयोग से 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय चर्चा सत्र कवि सुरेश भट सभागृह नागपुर में आयोजित किया गया है, जिसका उद्घाटन डॉ. मोहन भागवत ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमाेद सावंत, इंडियन मेडिकल काउंसिल के जयंत देवपुजारी, आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री राजेश कोटेचा, व्यासपीठ के अध्यक्ष विनय वेलणकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष वैद्य रजनी गोखले आदि उपस्थित थे।

डॉ. भागवत ने कहा कि पिछले 25 साल में आयुर्वेद व्यासपीठ ने उत्तम कार्य किया है। पहले आयुर्वेद को जनता की मान्यता थी, अब इसे सरकार की भी मान्यता मिली है। आयुर्वेद में आधुनिक चिकित्सा पद्धति की क्या-क्या संभावनाएं हैं, इस पर लक्ष्य केंद्रित कर शोध होना चाहिए। आम जनता आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति स्वीकार करे, इस दिशा में प्रयास होना चाहिए। यहीं से आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता व अधिकार मिलने की राह खुलेगी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष वैद्य रजनी गोखले ने अायुर्वेद व्यासपीठ द्वारा पिछले 25 साल में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि व्यासपीठ ने सेवा, संशोधन, प्रचार व प्रसार इन चार सूत्रों पर काम किया है। वर्तमान में जनता के माध्यम से आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को राज मान्यता दिलाने का प्रयास जारी है। इसके लिए सभी राज्यों में व्यासपीठ की शाखाएं शुरू करने की दिशा में काम किया जाएगा।
 

Created On :   13 Nov 2022 8:18 PM IST

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