सरकार बच्चों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए बनाए खास कोर्ट, कानून की पुलिस को दे जानकारी- हाईकोर्ट

Need Special courts for hearing of crimes related children - HC
सरकार बच्चों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए बनाए खास कोर्ट, कानून की पुलिस को दे जानकारी- हाईकोर्ट
सरकार बच्चों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए बनाए खास कोर्ट, कानून की पुलिस को दे जानकारी- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार आदर्श बाल सुलभ न्यायालय स्थापित करने को अपनी प्राथमिकता में रखे। ताकि ऐसे मामले की सुनवाई बगैर तनावपूर्ण वातावरण में हो सके, जिसमें नाबालिग बच्चे अपराध का शिकार हुए है अथवा वे गवाह के रुप में कोर्ट में आ रहे हैं। जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने राज्य के महाधिवक्ता को इस संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। बेंच ने कहा कि हलफनामे में स्पष्ट किया जाए कि राज्य भर में बाल कल्याण कमेटी व बाल न्याय बोर्ड में कितने पद रिक्त हैं।

अदालत ने कहा कि बाल न्याय कानून बच्चों के लिए विशेष कोर्ट का प्रावधान है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत इस मामले का खुद संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में देश के सभी उच्च न्यायालयों को हर जिले में बाल सुलभ न्यायालय स्थापित करने पर विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यह सुनिश्चित करे की बाल न्याय, पास्को व बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के सभी प्रावधानों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए। 

दिल्ली में बाल सुलभ न्यायालय 
सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि दिल्ली में बाल सुलभ न्यायालय बनाए गए हैं। इस पर बेंच ने कहा कि सरकार देखे की दिल्ली में कैसे बाल सुलभ न्यायालय बनाए गए हैं। बेंच ने कहा कि सरकार इसके लिए समाजशास्त्री, विचारक व विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की मदद लेकर यहां पर आदर्श बाल सुलभ न्यायालय स्थापित करने पर विचार करे। क्योंकि वयस्क व बच्चे को कोर्ट में लाने में अंतर होता है। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई एख महीने तक के लिए स्थगित कर दी है। 

सरकार नाबालिगों से जुड़े कानून की पुलिस को दे जानकारी 
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार नाबालिगों को लेकर कानून में किए गए बदलावों से पुलिस को अवगत कराए। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस को हर कानून के बारे में जानना संभव नहीं है इसलिए सरकार नाबालिगों को लेकर कानून में हुए संसोधन के विषय में जागरुक करना चाहिए। हो सके तो वह इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर परिपत्र जारी करने पर विचार करे। पुलिस से अपेक्षा की जाती है कि वह सदैव बच्चों व महिलाओं के कल्याण की दिशा में काम करे। खास तौर से जब वे पीड़ित हो। जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने पिछले दिनों एक नाबालिग लड़की को 24 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत देते हुए राज्य सरकार से जानना चाहा था कि उसके पास ऐसे मामलों में  निपटने के लिए क्या कोई दिशा-निर्देश मौजूद है। जिसमें नाबालिग पीड़ित है।

इस मामले में नाबालिग लड़की का अपहरण किया गया था। जब लड़की को खोजा गया तो वह 20 सप्ताह की गर्भवति थी। लेकिन पुलिस ने इसकी जानकारी न तो उसके घरवालों को दी और न ही बाल कल्याण कमेटी। जब लड़की के घरवालों को पता तो चला तो भ्रूण 24 सप्ताह का हो चुका था। कानून के मुताबिक 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया सकता है। इन तथ्यों पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि सरकार पुलिस को इस तरह के मामलों को लेकर जागरुक करे ताकि ऐसी परिस्थित में पुलिस बाल कल्याण कमेटी व महिलाओं के हित में काम करनेवाली संस्थाओं से सहयोग ले सके।         

कमेटी गठित करने करने की तैयारी 
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अभिनंदन वाग्यानी ने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर कमेटी गठित करने करने के लिए तैयार करेगी। जो इस तरह के मामलों को लेकर दिशा-निर्देश तैयार करेगी। जिसे अदालत में पेश किया जाएगा। बेंच ने कहा कि हम चाहते है कि सरकार नाबालिग को लेकर कानून में किए जानेवाले बदलाव को लेकर जागरुक करे। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 18 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। 

Created On :   23 April 2018 2:39 PM GMT

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