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हाईकोर्ट ने कहा- मेलघाट में कुपोषण से होने वाली मौतों का विशेषज्ञ से कराएं अध्ययन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि कुपोषण से होने वाली मौतों और बीमारियों के मुद्दे से निबटने के लिये क्या किसी विशेषज्ञ एजेंसी ने विदर्भ के मेलघाट क्षेत्र या राज्य के अन्य जनजातीय क्षेत्रों में कोई वैज्ञानिक अध्ययन किया है या नहीं। न्यायमूर्ति ए एस ओक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, राज्य के आदिवासी क्षेत्रों विशेषकर मेलघाट क्षेत्र के निवासियों में कुपोषण से होने वाली मौत और बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने अतिरिक्त सरकारी अभियोजक नेहा भिडे से जानना चाहा कि क्या समस्या को समझने और उसका हल निकालने का सुझाव देने के लिए संबंधित क्षेत्र में कोई संपूर्ण अध्ययन किया गया। न्यायमूर्ति ओक ने कहा कि हमें विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी से स्वतंत्र वैज्ञानिक अध्ययन कराने की जरूरत है। आईआईटी और टिस जैसे संस्थानों से यह कराया जा सकता है और विशेषज्ञों की उनकी टीम उन स्थानों पर जाकर मुद्दों को स्वास्थ्य एवं पोषण के लिहाज से समझ सकती है और सुझाव दे सकती है कि इस समस्या के समाधान के लिए क्या किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं में से एक पूर्णिमा उपाध्याय ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि कुपोषण की समस्या अब वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को तय की है।
420 गांवों में शुरू होगी कुपोषण से निपटने योजना
प्रदेश के 7 जिलों की 10 आदिवासी तहसीलों के 420 गांवों में ‘कम्यूनिटी एक्शन फॉर न्यूट्रिशन प्रक्रिया’ पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जाएगी। इसमें गड़चिरोली, नंदूरबार, नाशिक, पालघर, ठाणे, पुणे और रायगड जिले की तहसीलों का समावेश है। यह परियोजना आदिवासी समाज का सशक्तिकरण और पोषण के लिए जनभागीदारी के जरिए चलाई जाएगी। शुक्रवार को सरकार के आदिवासी विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। इसके अनुसार यह परियोजना सितंबर 2018 से अगस्त 2020 तक पांच चरणों में पूरी की जाएगी। परियोजना पर 5 करोड़ 35 लाख 20 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। इसको लागू करने के लिए निजी संस्थाओं को नोडल एजेंसी क् तौर पर नियुक्त किया गया है। परियोजना के तहत गांव स्तर पर सरकार की भारतरत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना व स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से छह साल तक के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को दिए जाने वाले पोषण की जानकारी जुटाई जाएगी। साथ ही कुपोषित बच्चों से जुड़े आंकडों को इकट्ठा किया जाएगा। इस दौरान उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए गडचिरोली के कुरखेडा और आरमोरी तहसील, नंदूरबार के धडगांव और शहादा, पालघर के जव्हार और मोखाड़ा तहसील, रायगड के कर्जत तहसील और पुणे के जन्नुर तहसील के 40-40 गांवों को चुना गया है। जबकि नाशिक के त्र्यंबकेश्वर तहसील के 60 गांवों इस योजना में शामिल किया गया है।
Created On :   31 Aug 2018 4:36 PM GMT