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बच्चा गोद लेने के इच्छुक दंपति की स्वास्थ्य जांच के लिए व्यवस्था बनाए कारा - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सेंट्रल एडाप्सन रिर्सोस एथारिटी (कारा) को निर्देश दिया है कि वह ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे दत्तक लेने से जुड़े प्रस्ताव के सभी महत्वपूर्ण पहलूओं की जांच की जा सके। खासतौर से इस व्यवस्था में गोद लेने के इच्छुक भावी दंपत्ति को दत्तक के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनअओसी) देने से पहले उसकी मेडिकल जांच का भी समावेश किया जाए। हाईकोर्ट ने यह बात स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या से जूझ रहे बेलजियम के एक दंपति को तीन साल के बच्चे को गोद लेने की एनओसी दिए जाने के मामले में यह बात कही। नियमानुसार अंतरदेशीय दत्तक के मामले में हाईकोर्ट की मंजूरी जरुरी है। इसलिए यह मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आया था।
न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी ने केंद्रीय महिला व बाल विकास विभाग को कहा है कि वह उपयुक्त अधिकारी की नियुक्ति करके हर स्तर पर कारा के कामकाज का औचक सर्वेक्षण कराने की दिशा में कदम उठाए। किसी भी चीज को उसके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता है। कारा ने अगस्त 2019 को बेलजियम के एक दंपति को तीन साल के बच्चे को गोद लेने को लेकर एनओसी प्रदान की थी। यह एनओसी दंपति की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन किए बिना जारी कर दी गई थी। जबकि इस मामले में विदेशी शख्स एक अनुवांशिक विकार से पीड़ित था जबकि उसकी पत्नी का हृदय का ट्रांसप्लांट हुआ था। और वह लगातार दवाइयों पर निर्भर है।
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कारा के निदेशक ने स्वीकार किया था कि इस मामले में गंभीर गड़बडी हुई है। इसलिए विदेशी दंपति को दत्तक के संबंध में दी गई एनओसी को रद्द कर दिया गया है। इसे देखते हुए न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में कहा कि कारा दत्तक से जुड़े प्रस्ताव के हर पहलू की पड़ताल करने के बाद ही एनओसी जारी करे। खास तौर दत्तक लेने के इच्छुक दंपति के स्वास्थ्य की जांच हो। और इससे संबंधित रिपोर्ट दत्तक से जुड़ी फाइल में लगाई जाए। न्यायमूर्ति ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है और अगली सुनवाई के दौरान दत्तक लेने के इच्छुक दंपति के स्वास्थ्य जांच के विषय में बनाई गई व्यवस्था की जानकारी देने को कहा है।
Created On :   26 Feb 2020 1:22 PM GMT