जरुरतमंद मरीजों को मिले चैरिटेबल अस्पतालों में इलाज-हाईकोर्ट

Needy patients should get treatment in Charitable Hospitals-HC
जरुरतमंद मरीजों को मिले चैरिटेबल अस्पतालों में इलाज-हाईकोर्ट
जरुरतमंद मरीजों को मिले चैरिटेबल अस्पतालों में इलाज-हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि चैरिटेबल अस्पतालों में गरीब व आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों के उपचार  लिए बनाई गई इंडिजेंट पेंशट फंड (आईपीएफ) योजना को प्रभावी तरीके से अमल में लाया जाए। ताकि कमजोर तपके के लोगों को इसका लाभ मिल सके। राज्य सरकार व अस्पताल संयुक्त रुप से समन्वय बनाकर काम करे। मौजूदा समय में  कमजोर तपके के लोगों के लिए बीमारी का खर्च वहन कर पाना बड़ी चुनौती है। कई बार तो लोगों को अपनी संपत्ति तक बेचनी पड़ती है। हाईकोर्ट ने यह बात एसोसिएशन आफ हास्पिटल इन पुणे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। 

10 प्रतिशत बेड आथिक रुप से कमजोर मरीजों के लिए 
याचिका के मुताबिक आईपीएफ स्कीम के तहत चैरिटेबल अस्पताल अपने यहां के 10 प्रतिशत बेड आथिक रुप से कमजोर गरीब मरीजों के लिए रखते है। इसके साथ ही अस्पताल अपने कुल राजस्व(बिलिंग) की दो प्रतिशत राशि गरीब मरीजों के उपचार में खर्च करती है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे  वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप नार्गोलकर ने कहा कि कई मरीज अपनी आय को लेकर गलत प्रमाणपत्र पेश करते है। यह प्रमाणपत्र उचित पड़ताल के बिना तहसीलदार कार्यालय से जारी किया जाता है। इसके अलावा कई बार विधायक,सांसद व मंत्री ऐसे मरीजों के लिए सिफारिसी पत्र भेजते है जो आर्थिक रुप से कमजोर नहीं दिखते।

इसके अलावा कुछ उपाचर ऐसे होते है जो काफी खर्चीले होते है। उन्होंने कहा कि अंग प्रत्यारोपण जैसा मुफ्त इलाज कर पाना अस्पातालों के लिए मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि मरीज जब अस्पातल में दाखिल होता है उसे उसी समय अपनी आय का प्रमाण देने के लिए कहा जाए। सरकारी वकील ने अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि वे इस संबंध में अस्पातल के प्रतिनिधियों व संबंधित सरकारी अधिकारियों की एक बैठक आयोजित करेगे। जिसमें सभी विषयों पर चर्चा की जाएगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आपीएफ योजना के अमल को लेकर सरकार प्रभावी कदम उठाए। ताकि सही लोगों को इसका फायदा मिल सके और अस्पतालों को भी दिक्कत न हो। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है। 

औरंगाबाद में बनेगी स्वाइन फ्लू की जांच के लिए प्रयोगशाला 
इस बीच एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत नागरिकों को बेहतर स्वास्थय सेवा देना सरकार की जिम्मेदारी है। खंडपीठ ने कहा कि यदि लोग स्वास्थय रहेगे तो स्वास्थय समाज बनेगा। लोग बीमार रहेगे तो बीमार समाज का निर्माण होगा। इस बीच सरकारी वकील ने खंडपीठ को बताया कि सरकार ने औरंगाबाद में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए प्रयोगशाला बनाने की निर्णय किया है। 

Created On :   19 March 2018 3:21 PM GMT

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