'नीरी' विशेषज्ञों की पहल : POP से बनी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर टीम तैयार

NEERI Experts Initiative : Team ready for immersion of POP statues
'नीरी' विशेषज्ञों की पहल : POP से बनी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर टीम तैयार
'नीरी' विशेषज्ञों की पहल : POP से बनी मूर्तियों के विसर्जन को लेकर टीम तैयार

डिजिटल डेस्क,नागपुर। पर्यवारण अनुसंधान केंद्र नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) व पुणे की नेशनल केमिकल लेबोरेट्री (NCL) की पहल पर इस साल गणेश विसर्जन को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं। यह इंतजाम "नीरी" परिसर में ही है। प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों को विसर्जन के लिए रसायनों का उपयोग किया जाएगा। इसके बाद इसके अवशेष का उपयोग निर्माण कार्यों में किया जाएगा। गौरतलब है कि "नीरी" विशेषज्ञों की पहल पर शहरी क्षेत्र के करीब 6 हजारों घरों से संपर्क किया जा चुका है। घर-घर जाकर POP की मूर्तियों की खामियां बताई जा रही हैं। "नीरी" परिसर में 500 मूर्तियों के विसर्जन का इंतजाम किया गया है। इससे किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होगा। 

20 टीमें शहर में संपर्क अभियान में जुटी हैं। हर टीम में चार सदस्य हैं। शुक्रवार तक 6 हजार घरों तक टीम पहुंचने में सफल रही थी। विसर्जन की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। विसर्जन का क्रम अंनत चतुर्दशी तक चलता रहेगा। "नीरी" के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि मूर्तियों से निकलने वाले कैल्शियम कार्बोनेट के इस्तेमाल को लेकर शहरी विकास मंत्रालय के सिविल इंजीनियर के साथ मिलकर केंद्र परिसर के गेट नंबर 2 से नई सड़क तैयार की जाएगी। अमोनियम सल्फेट को खाद के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है। मूर्तियों के रंग में कोई हेवी मेटल है कि नहीं इसके परीक्षण के लिए उसे पहले परिसर के ही ऐसे पेड़-पौधों पर डाला जा जाएगा, जिसमें फल ना लगते हों। इससे उसका परीक्षण स्तर पर कोई हानिकारक परिणाम नहीं होगा।

20 घंटे तक छोड़ा जाएगा टैंक में 
डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया कि वर्धा रोड स्थित नीरी परिसर में 3 विसर्जन केंद्र बनाए गए हैं। यहां 26 अगस्त से गणेश मूर्तियां विसर्जन के लिए लाए जा सकते हैं। मूर्तियों को परिसर में बनाए गए 3 सीमेंट के टैंकों में डाला जाएगा। मूर्तियों को टैंक में डालने से पहले उसका निर्माल्य एकत्रित कर लिया जाएगा। इसके बाद उस मूर्ति का वजन किया जाएगा। यहां हर मूर्ति का वजन कर उसका रिकॉर्ड रखा जाएगा, ताकि चूने और खाद मिलने पर वजन का अंदाजा लगाया जा सके। इसके बाद उसे टैंक में 20 घंटे तक छोड़ा जाएगा।

अमरावती महानगरपालिका ने दिखाई दिलचस्पी
डॉ. कृष्णा खैरनार ने बताया कि इस तकनीक को लेकर अमरावती महानगर पालिका ने रुचि दिखाई है। वहां अगले साल से इस तकनीक को अपनाया जाएगा। अगले साल नागपुर महानगर पालिका को भी इस तकनीक को अपनाने की अपील की जाएगी।
 

Created On :   26 Aug 2017 3:17 PM IST

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