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जमीन पर ही हो गई डिलीवरी, डेढ़ घंटे तड़पती रही महिला
डिजिटल डेस्क, नागपुर। रविवार की दोपहर में डागा अस्पताल के वेटिंग रूम में वाड़ी दाभा क्षेत्र की एक महिला प्रसव वेदना से तड़पती रही, लेकिन परिजनों के बार- बार गुहार पर कोई डॉक्टर या नर्स उसे देखने तक नहीं पहुंचे। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा ही रही कि महिला डेढ़ घंटे तक वहीं जमीन पर असहाय अवस्था में तड़पती रही। आखिरकार वहीं डिलीवरी भी हो गई। पर परेशानी यह कि महिला की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी। परिजन मिन्नतें करते रहे, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। मानवता के नाते भी कोई डॉक्टर या नर्स सहायता के लिए आगे नहीं आई। डिलीवरी के बाद एक नर्स दौड़ती हुई आई और नवजात को आईसीयू कक्ष में ले गई। कुछ देर बाद महिला के परिजनों को बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डागा अस्पताल के डॉक्टरों और नर्स की लापरवाही के कारण नवजात बच्चे की मौत हो गई। और अगर महिला की खुदप्रसूति नहीं होती तो उसकी भी जान जा सकती थी। प्रसूति होने से महिला तो बच गई, मगर जिगर के टुकड़े का मुंह नहीं देख पाई।
काम न आई कोई गुहार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वाड़ी के साईं नगर दाभा निवासी रानी संदेश वासनिक प्रसूति के लिए मायके कन्हान गई थी। प्रसव वेदना शुरू होने पर कन्हान के प्राथमिक स्वास्थ्य अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे कामठी के शासकीय अस्पताल और फिर डागा अस्पताल भेजा गया। उसका डागा अस्पताल का ही डिलीवरी कार्ड बना था। अस्पताल के बाहर वेटिंग रूम में उसे बैठाया गया। ब्लीडिंग ज्यादा हो रही थी, इसलिए परिजन बार-बार भर्ती करने की गुहार लगाते रहे। आखिरकार दोपहर लगभग 12 बजे के दरमियान वेटिंग रूम में ही जमीन पर डिलीवरी हो गई। दर्द से कराह रही महिला को लेबर रूम के बाहर वेटिंग रूम में बैठी कुछ महिलाओं ने संभाला।
इंसानियत को झकझोर देने वाली इस घटना का किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस घटना ने फिर एक बार डागा अस्पताल की संवेदनाओं पर सवाल उठा दिए हैं। इस घटना को लेकर नागरिकों में काफी रोष है। पीड़िता के परिजनों ने घटना की शिकायत तहसील थाने में की है। जिले में स्वास्थ्य सेवा का भरोसा दिलाने वाले पालकमंत्री नितीन राऊत से भी शिकायत कर डागा अस्पताल के दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। बसपा के जिलाध्यक्ष संदीप मेश्राम ने जनता की ओर से पालकमंत्री से सवाल किया है कि शासकीय अस्पतालों में महिलाओं के प्रसूति के लिए सही उपचार क्यों नहीं मिल रहा? मेश्राम ने उपराजधानी की इस घटना को शर्मनाक बताते हुए पीड़ित परिवार के साथ इस मामले की शिकायत राज्य के स्वास्थ्य मंत्री, जिलाधिकारी से कर डागा अस्पताल के दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है।
4 दिन पहले की घटना ताजा
शासकीय अस्पतालों में जाने वाले गरीब परिवारों को अब डर सताने लगा है। चार दिन पहले भी डागा अस्पताल में पवनी रामटेक से एक महिला को प्रसूति के लिए लाया गया था। वह करीब दो घंटे तक बाहर ही तड़पती रही। घटना 2 सितंबर को दोपहर करीब 2.30 बजे के दरमियान की है। पूनम अजय आतराम नामक इस महिला को भी ब्लीडिंग हो रही थी। इसके परिजन उसे मेयो में लेकर गए, जिससे उसकी और उसके बच्चे की जान बच गई।
डिलीवरी हुई तो बच्चा मृत था
डॉ. सीमा पारवेकर, अधीक्षक, डागा अस्पताल के मुताबिक समय नहीं था तो सिस्टर ने कहा कि यही पर लेट जाओ। यहीं पर डिलीवरी करानी पड़ेगी। 34 हफ्ते की डिलीवरी हुई। बच्चे ने पेट में ही शौच कर दिया था। डिलीवरी हुई तो बच्चा मृत था। इसके बाद भी सिस्टर बच्चे को लेबर रूम में ले गई और जरूरी प्रक्रिया की। मरीज के परिजनों ने वहां पर शोर मचाया, वहां पर वीडियो बनाया। साथ ही शासकीय कार्य में बाधा भी डाली।
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Created On :   7 Sept 2021 6:31 PM IST