लापरवाही : निवासी डॉक्टरों की सीटें बढ़ीं, लेकिन सूची नहीं भेजने से स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं

Negligence : Residents doctors seats increase, not increased stipend
लापरवाही : निवासी डॉक्टरों की सीटें बढ़ीं, लेकिन सूची नहीं भेजने से स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं
लापरवाही : निवासी डॉक्टरों की सीटें बढ़ीं, लेकिन सूची नहीं भेजने से स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नियमित स्टाइपेंड (विद्यावेतन) नहीं मिलने से निवासी डॉक्टर आंदोलन करने पर मजबूर हैं। चिकित्सा शिक्षा संचालक ने मुंबई में मार्ड के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक में बताया कि निवासी डॉक्टरों की सीटें बढ़ीं, लेकिन स्टाइपेंड के लिए धनराशि में पर्याप्त वृद्धि नहीं हो पाई। इसकी वजह यह है कि कॉलेज प्रशासन की ओर से निवासी डॉक्टरों की सूची नहीं भेजी गई है। संचालन के खुलासे में मेडिकल प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। इसका खामियाजा निवासी डॉक्टर भुगत रहे हैं। मार्ड ने हाल ही में स्टाइपेंड नहीं मिलने पर हड़ताल की चेतावनी दी थी। मार्ड की चेतावनी का संज्ञान लेकर चिकित्सा शिक्षा संचालक ने उन्हें चर्चा के लिए बुलाया। बैठक में स्टाइपेंड नियमित नहीं होने के कारणों पर चर्चा की गई। संचालक द्वारा बताया गया कि निवासी डॉक्टरों की सीटें बढ़ीं, लेकिन संबंधित मेडिकल प्रशासन की ओर से सूची नहीं भेजी गई, इसलिए स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं हो पाई है। प्राप्त सूची के अनुसार, मंजूर रकम कॉलेज को भेज दी गई है। अतिरिक्त बजट मंजूर नहीं रहने से बढ़ी हुई सीटों के विद्यावेतन (स्टाइपेंड) आवंटित नहीं की जा सकती। जनवरी, फरवरी और मार्च महीने के स्टाइपेंड को आगामी बजट में मंजूरी मिलने के बाद आवंटित किया जाएगा। संभवत: जून महीने में आवंटन किया जा सकता है। इसके बाद प्रति माह स्टाइपेंड देने का आश्वस्त किया गया है। अप्रैल महीने के स्टाइपेंड की धनराशि शुक्रवार को कॉलेज प्रशासन को प्राप्त होने की जानकारी मिली है। मंगलवार को निवासी डॉक्टरों को एक महीने का स्टाइपेंड दिया जा सकता है।

गणवेश के लिए मिले थे 4 करोड़ 38 लाख रुपए कम हो गए विद्यार्थी, इसलिए लौटाने पड़े 24 लाख

उधर सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत जिला परिषद के स्कूलों के विद्यार्थियों को दिए जाने वाले गणवेश के लिए चालू शैक्षणिक सत्र में 4 करोड़ 38 लाख रुपए की निधि प्राप्त हुई थी। इसमें से 24 लाख रुपए सरकार को लौटाने पड़े। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष विद्यार्थी संख्या घटने से गणवेश पर निधि खर्च नहीं हो पाई। जिप के स्कूलों में विद्यार्थियों की तेजी से घटती संख्या पर रोक लगाने के लिए मध्याह्न भोजन, नि:शुल्क पुस्तकें और शालेय गणवेश दिया जाता है। इसके बावजूद जिप स्कूलों में विद्यार्थी संख्या कम हो रही है। पिछले 4 वर्ष में औसतन 8 प्रतिशत यानी 12 हजार विद्यार्थियों की संख्या घटी है। जिले में 1538 जिला परिषद के स्कूल हैं। इन स्कूलों में पिछले वर्ष 73 हजार विद्यार्थी थे। पिछले वर्ष के विद्यार्थी संख्या का आधार मानकर चालू शैक्षणिक सत्र में शालेय गणवेश के लिए अनुदान का प्रस्ताव भेजा गया। सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत जिला परिषद के शिक्षा विभाग को 4 करोड़, 38 लाख रुपए अनुदान आवंटित किया गया, परंतु विद्यार्थी संख्या घटकर 69 हजार रह जाने से अनुदान की पूरी रकम खर्च नहीं हो पाई। बच गई 24 लाख रुपए की निधि सरकार को लौटानी पड़ी। दो वर्ष पहले सरकार ने व्यक्तिगत लाभ योजना की डीबीटी लागू की। शालेय गणवेश योजना को भी डीबीटी के दायरे में लाया गया था। विद्यार्थियों को शैक्षणिक सत्र में दो गणवेश खरीदी पर 400 रुपए अनुदान दिया जाता है। गणवेश खरीदी करने के बाद बिल जमा करने पर बैंक खाते में अनुदान जमा करने की शर्त रखी गई। 400 रुपए अनुदान के लिए बैंक खाता खुलवाने 500 से 1000 रुपए खर्च करने पड़ रहे थे। यह घाटे का सौदा साबित होने से अधिकांश विद्यार्थियों के पालकों ने बैंक खाते नहीं खुलवाए। अनेक विद्यार्थियों के बैंक खाते नहीं खुलने से 25 प्रतिशत विद्यार्थी गणवेश से वंचित रह गए। 

इस वर्ष बदली नीति

अनुदान की रकम बैंक खाते में जमा करने में काफी दिक्कतें आने से चालू शैक्षणिक सत्र में यह शर्त हटा दी गई। प्राप्त अनुदान की रकम पंचायत समिति स्तर पर स्थानांतरित कर स्थानीय स्तर पर गणवेश खरीदी के अधिकार दिए जाने से इस वर्ष पात्र सभी विद्यार्थियों को गणवेश मिल सका।
 

Created On :   7 April 2019 11:49 AM GMT

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