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वर्षों तक की नेताजी की जी-हुजूरी अब प्रशासनिक काम से कांप रहे हाथ
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महानगरपालिका में कुछ अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं, जो सालों से नेताओं की जी-हुजूरी में लगे रहे। सत्ता कोई भी हो, वे जुगाड़ लगाकर केबिन में अपनी जगह बना ही लेते हैं। नेताओं के करीबी बने रहते थे। 22 स ाल बाद मनपा में प्रशासक राज आने से अब इनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। महापौर, स्थायी समिति, सत्तापक्ष, विपक्ष कार्यालय, परिवहन समिति सहित सभी पदाधिकारियों के केबिन खाली हो गए हैं। इन कार्यालयों में जो सालों से सेवा दे रहे थे, प्रशासक बैठने के बाद उन्हें अपने मूल विभागों में लौटना पड़ रहा है। हालांकि इनके आदेश अभी जारी नहीं हुए हैं। इन्हें मौखिक तौर पर मूल विभागों में जाने के लिए कहा गया है।
भूल गए सब कुछ, याद नहीं अब कुछ : सोमवार को मनपा प्रशासक राधाकृष्णन बी. नागपुर में नहीं होने से इनके आदेश जारी नहीं हुए। जल्द ही इन्हें लिखित आदेश देने के संकेत दिए गए हैं। सालों से नेताओं की सेवा में लगे इन सेवादारों को अब प्रशासनिक काम करने में दिक्कतें आ रही हैं। टेबल पर बैठने की खबर से ही हाथ-पांव कांप रहे हैं। वे अपना मूल काम ही भूल गए हैं। फाइल कैसे तैयार करना या कम्प्यूटर पर कैसे काम किया जाता है, इसे सीखने की नौबत आ गई है। कुल ऐसे 50 कर्मचारी हैं। इससे प्रशासन को जरूर कुछ राहत मिली है। 31 मार्च करीब होने से इनकी उपयोगिता बढ़ गई है। 31 मार्च से पहले विविध विभागों को अपना लक्ष्य पूरा करना है। ऐसे में ये प्रशासन के मददगार हो सकते हैं।
प्रशासकीय इमारत में बढ़ी चहल-पहल : मनपा में प्रशासक बैठने के बाद सोमवार को पहला दिन था। शुक्रवार तक मनपा पर जनप्रतिनिधियों का राज था। शनिवार-रविवार को अवकाश होने से सोमवार को मनपा कार्यालय खुले। प्रशासक बैठने का असर दिखा। महापौर से लेकर सभी पदाधिकारियों की केबिन में सन्नाटा पसरा रहा। प्रशासकीय इमारत में चहल-पहल रही। लोग शिकायतें या समस्या लेकर अधिकारियों की केबिन के सामने दिखे। प्रशासक राधाकृष्णन बी. मुंबई में होने से उन्हें अन्य अधिकारियों से मिलना पड़ा। फिलहाल प्रशासन भी कुछ राहत महसूस करते दिखा। रोज की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ फुर्सत दिखी। चेहरे भी खिले दिखे। अब फाइलें लेकर पदाधिकारियों के सामने हाजिर नहीं होना पड़ेगा।
अधिकारियों से सीधे मिल सकेंगे
व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पहले समितियों के पास फाइलें जाती थीं, अब आयुक्त सीधे निर्णय लेंगे। जरूरतमंद संबंधित अधिकारियों से सीधे मिल सकेंगे। कार्यालयीन समय पर वे आ सकेंगे। प्रभाग से संबंधित समस्याओं को लेकर सीधे जोन कार्यालय में जा सकेंगे। पदाधिकारियों के पास जो स्टाफ तैनात था, उन्हें मूल विभाग में लौटने के आदेश दिए गए हैं।
-राम जोशी, अतिरिक्त आयुक्त, मनपा
Created On :   8 March 2022 7:39 PM IST