नेटफ्लिक्स विभिन्न विषयों पर दो मिनट के 25 वीडियो का निर्माण करेगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में आजादी की अमृत कहानियां नामक एक लघु वीडियो संग्रह जारी किया। इसे नेटफ्लिक्स इंडिया के सहयोग से तैयार किया गया है। इसमें देश की पहली महिला फायर फाइटर नागपुर की हर्षिनी कान्हेकर सहित सात भारतीय महिलाओं के बारे में प्रेरक लघु कथाएं हैं, जिन्होंने देश के लिए कुछ अकल्पनीय, अनोखे और उत्कृष्ट कार्य किए।
केन्द्रीय मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह कदम उन महिलाओं और अन्य लोगों की उपलब्धियों को सम्मान दिलाने के लिए उठाया गया है, जिनके कार्य से देशाविसयों को प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि भारत में आजादी का विचार महिला मुक्ति के साथ जुड़ा हुआ है। इस बारे में उन्होंने कहा कि आजादी शब्द उन महिलाओं के लिए व्यापक अर्थ रखता है जिन्हें समाज में रुढिवाद और वर्जनाओं के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की मुक्ति समाज में स्वतंत्रता की स्थिति की पहचान है।
ठाकुर ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य भारतीयों की प्रेरणादायक कहानियों को सबके सामने लाना है क्योंकि कहानियां अधिक से अधिक लोगों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेंगी और सशक्त बनाएंगी। उन्होंने कहा कि यह एक दीर्घकालिक साझेदारी है जिसमें विभिन्न विषयों और विविध कहानियों पर प्रकाश डाला जाएगा। नेटफ्लिक्स महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण और सतत विकास तथा महत्व के अन्य दिनों सहित विभिन्न विषयों पर पच्चीस वीडियो का निर्माण करेगा। नेटफ्लिक्स मंत्रालय के लिए दो मिनट की 25 लघु फिल्मों का निर्माण करेगा जिन्हे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया जाएगा और दूरदर्शन नेटवर्क पर प्रसारित किया जाएगा। मंत्री ने इस अवसर पर इन सुपर-7 महिलाओं को सम्मानित किया है, उनमें हर्षिनी के अलावा पर्यावरणविद और पद्मश्री से सम्मानित बसंती देवी, माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली अंशु सेम्पा, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मीलों पैदल चलकर सभी को टीका लगाने वाली स्वास्थ्य कार्यकर्ता पूनम नौटियाल, भारत में मिसाइल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक डॉ टेसी थॉमस, भारत की पहली प्रतिस्पर्धी महिला स्टैंड-अप पैडलबोर्डर तन्वी जगदीश और आरोही पंडित, जो एक हल्के-खेल वाले विमान में अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को अकेले पार करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की पहली महिला पायलट शामिल है।
फायर फाइटर बनने का विचार ही उनके लिए चुनौती भरा था
आग से खेलना बच्चों का खेल नहीं है और हर्षिनी कान्हेकर इसी आग से लोगों की जान बचाती है। हर्षिनी कहती है कि फायर फाइटर बनने का विचार ही उनके लिए चुनौती भरा काम था। लेकिन मुझे वर्दी पहननी थी और देश की सेवा करनी थी। एयरफोर्स की परीक्षा में असफल होने के बाद नागपुर के फायर सर्विस कॉलेज में प्रवेश लिया। यह एक तरह से पुरुषों के गढ़ में एट्री थी, क्योंकि वह पुरुषों का ही कॉलेज था। वह कहती है कि यह उन लोगों को एक जवाब भी था जिन्हें लगता है कि फायर फाइटर का काम केवल और केवल पुरुषों का काम है। उन्होंने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इस लघु कहानियों के माध्यम से अब नागपुर के नेशनल फायर सर्विस कॉलेज का नाम जन-जन तक पहुंचेगा।
Created On :   26 April 2022 8:35 PM IST