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न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट में नवजात की जान से खिलवाड़

डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा/पांढुर्ना। नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए पांढुर्ना सीएचसी में मौजूद नवजात शिशु स्थरीकरण इकाई यानी न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) में नवजात शिशुओं की जान के साथ खिलवाड़ होता नजर आ रहा है। पूरे प्रदेश में मौजूद 61 इकाईयों में से पांढुर्ना सीएचसी के एनबीएसयू में तकनीकी लापरवाही शिशुओं पर भारी पड़ रही है। यूनिट में मौजूद संसाधनों में बदलाव नहीं किए जाने से यह संसाधन बेकार साबित हो रहे हैं।
पीलिया कंट्रोल करने बनी अलग इकाई: नवजात शिशुओं को होने वाली पीलिया बीमारी को कंट्रोल करने के लिए सरकारी अस्पताल में अलग से यह यूनिट तैयार हुई है। नवजात शिशु के ओ-पॉजीटिव जन्म लेने की स्थिति में पीलिया का खतरा बना रहता है, जिसकी रोकथाम के लिए शिशुओं को यूनिट में रखा जाता है। शिशुओं की देखभाल के लिए यूनिट में नर्स तारा पोखले और सविता पटेल को स्पेशल ट्रेनिंग देकर नियुक्त किया गया है पर अस्पताल में शिशुरोग विशेषज्ञ नहीं होने से यूनिट भगवान भरोसे रह गई है।
छह साल से नहीं बदली फोटोथैरेपी यूनिट की ट्यूब
पांढुर्ना सीएचसी में करीब छह साल पहले यह यूनिट शुरू की गई है। एसी यूनिट में नवजात शिशुओं के ट्रीटमेंट के लिए चार वार्मर और एक रेडियंट वार्मर फोटोथैरेपी यूनिट लगी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइड लाइन के अनुसार रेडियंट वार्मर फोटोथैरेपी यूनिट की ट्यूब प्रति छह माह अथवा एक हजार घंटे के बाद बदल दी जाती है पर पांढुर्ना सीएचसी के एनबीएसयू के रेडियंट वार्मर फोटोथैरेपी यूनिट की ट्यूब बीते छह सालों से जस की तस है। जानकारों का कहना है कि इसी वार्मर और ट्यूब की मदद से वेव लेंथ मेंटेन कर नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा होती है।
सीएचसी में शिशुरोग विशेषज्ञ नहीं
पांढुर्ना सीएचसी में एक भी शिशुरोग विशेषज्ञ नहीं होने से न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट भगवान भरोसे है। यहां पदस्थ शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. निरंजन कानूनगो सस्पेंडेड हैं। वहीं डॉ. मिलिंद गजभिए पांढुर्ना सीएचसी से स्थानांतरित हो गए हैं। न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट में सेवाएं देने के लिए डॉ. मिलिंद गजभिए को यूनिसेफ के माध्यम से श्यामला हिल्स भोपाल में स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई पर शिशुरोग विशेषज्ञ नहीं होने से यूनिट की सेवाएं लचर साबित हो रही हैं।
नवजात को किया नागपुर रेफर
न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट की सेवाएं लचर साबित होने से स्थानीय स्तर पर नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में उपचार के लिए पांढुर्ना सीएचसी में जन्म लेने वाले ओ पॉजीटिव शिशुओं को नागपुर रेफर कर दिया जाता है। गुरुवार को भी जन्म लेने वाले एक शिशु को ऐसी स्थिति में शुक्रवार को नागपुर रेफर किया गया। बताया जा रहा है सचिन ढोमने के यहां जन्मी बच्ची को जन्म के बाद अस्पताल में रखा गया पर स्थिति बिगड़ते देख उसे नागपुर रेफर कर दिया गया।
Created On :   12 May 2018 1:17 PM IST