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मेट्रो रूट पर बनेगा नया फुटपाथ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो रूट का रीच-1 अर्थात मिहान से सीताबर्डी तक का काम इन दिनों स्पीड से चल रहा है, लेकिन दूसरा रूट जिसका काम तेजी से चल रहा है वह है हिंगना से सीताबर्डी का काम। सीताबर्डी से धरमपेठ साइंस विद्यालय के फुटपाथ पैदल चलने के लायक नहीं रह गए हैं। खंड-खंड में विभाजित फुटपाथ पर नागरिकों को दोबारा लाने के लिए नया बनाने का प्लान महामेट्रो बना रही है।
संकल्पना तैयार की जा रही
महामेट्रो के प्रबंध निदेशक डॉ. ब्रजेश दीक्षित ने मंगलवार को मेट्रो हाउस में आयोजित पत्रपरिषद के दौरान बताया कि उत्तर अंबाझरी रोड अर्थात सीताबर्डी से लेकर अंबाझरी तालाब के पास स्थित धरमपेठ साइंस कॉलेज स्टेशन तक वर्तमान के फुटपाथ पर अतिक्रमण से लेकर पेड़, घरों और कार्यालयों के भीतर एंट्री, बिजली और टेलिफोन के खंभों के कारण यातायात बाधित होता है। इस समस्या को खत्म करने के लिए एक जैसे फुटपाथ की संकल्पना तैयार की जा रही है। डॉ. दीक्षित ने कहा कि टीओटी (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) पॉलिसी और एमआरटीपी एक्ट के तहत ट्रैक के दोनों ओर दस दस मीटर की जगह छोड़ा जाना है। इसमें तीन मीटर के फुटपाथ की जगह तैयार की जाएगी। इस तीन मीटर जगह को लेने के बाद सड़क किनारे से जिन लोगों की जमीन ली जाएगी।
क्रेजी कैसल का नियंत्रण होगा मेट्रो के पास
क्रेजी कैसल के अधिग्रहण को लेकर उपजा विवाद फिलहाल थमने की दिशा में है। डॉ. दीक्षित ने कहा कि मेट्रो परियोजना के लिए दोनों ओर ऑपरेशन और मेंटेनेंस व मार्ग के लिए दोनों ओर कम से कम दस-दस मीटर जगह की जरूरत होती है। लिहाजा फिलहाल अब तक सहमति इस बात पर बनी है कि अगर क्रेजी कैसल और मेट्रो दोनों का अस्तित्व बनाए रखना है तो मेट्रो के परिचालन के लिए क्रेजी कैसल का नियंत्रण मेट्रो अपने पास रखेगी। इस पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है। लिहाजा इस मसले पर मेट्रो, एनआईटी और क्रेजी कैसल प्रबंधन मिलकर आगे निर्णय करेंगे। बता दें कि नासुप्र ने क्रेजी कैसल को लीज पर जमीन दी है। लीज खत्म होने से पहले जमीन अधिग्रहण पर करोड़ों रुपए का मुआवजा क्रेजी कैसल द्वारा मांगा गया था। इस पर मेट्रो प्रशासन ने मार्ग खोज निकालने के लिए डिजाइन में भी थोड़े बहुत परिवर्तन किए हैं, जिसे अंतिम मंजूरी समिति की सहमति से प्रदान की जाएगी।
एटग्रेट सेक्शन के हर स्टेशन की ऊर्जा खपत 1 मेगावॉट के भीतर
डॉ. दीक्षित ने बताया कि एटग्रेड सेक्शन अर्थात जमीन की सतह पर चलनेवाले तीनों मेट्रो स्टेशनों में हर मेट्रो स्टेशन की ऊर्जा खपत 1 मेगावॉट के भीतर ही रहेगी। सौर ऊर्जा पैनलों को लगाने के लिए सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से करार हुआ है। इस कम्पनी को पैनल लगाने से लेकर उसके संचालन रखरखाव की जिम्मेदारी रहेगी। इसके बदले मेट्रो को कंपनी 3.62 रुपए या इससे भी कम दर पर मेट्रो के लिए बिजली उपलब्ध कराएगी।
Created On :   31 Jan 2018 4:08 PM IST