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सेहत को लेकर फिक्रमंद युवा, बेबी प्लानिंग के लिए ले रहे काउंसलिंग की मदद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सोशल मीडिया के कारण लोगों में हर चीज के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। युवा कपल्स बेबी प्लानिंग के लिए कोई भी कदम आगे बढ़ाने से पहले डॉक्टरों की सलाह और प्री-प्रेग्नेंसी काउंसलिंग जरूर ले रहे हैं, जिससे भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो और बच्चे के भविष्य में कोई समस्या न आए। गायनेकोलॉजिस्ट भी प्रेग्नेंसी के पहले किस तरह की सावधानियां रखनी चाहिए, कपल्स को बताते हैं। वे गर्भावस्था से जुड़ी हर तरह की जानकारियां देते हैं। इन सावधानियों को मानते हुए महिला खुद स्वस्थ रहते हुए और बिना ज्यादा कष्ट उठाए एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।
मधुमेह के लिए डॉक्टर से सलाह
जब हम बेबी प्लान करने वाले थे, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी समझा, क्योंकि मैंने सुना था कि अगर मां को डायबिटीज है, तो बच्चे को भी हो सकता है। इसलिए ऐसा लगा कि कहीं हमारे साथ भी तो ऐसा नहीं होगा। गायनेकोलॉजिस्ट की सलाह पर हमने बेबी प्लान किया, जिसमें उन्होंने खानपान में सतर्कता बरतने को कहा, साथ ही हरी सब्जियां, मिल्क प्रॉडक्टस और फलों को नियमित रूप से खाने की सलाह दी। पहले के समय में बीमारियां भी ज्यादा नहीं थीं, अब नई-नई बीमारियां होने लगी हैं, इसलिए हमने डॉक्टर की सलाह से प्रेग्नेंसी प्लान की।
(आरुषि मधुप जोशी, कपल)
हीमोग्लोबिन अच्छा होना चाहिए
प्रेग्नेंसी के समय हीमोग्लोबिन अच्छा होना चाहिए। मेरा हीमोग्लोबिन कम था। हमने प्रेग्नेंसी के बारे में सोचा और जब डॉक्टर से सलाह ली, तो उन्होंने पहले हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए कहा, क्योंकि हीमोग्लोबिन की कमी के कारण मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। इसके लिए डाइट चार्ट दिया कि हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए खान-पान किस तरह से होना चाहिए। भोजन में कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ाने के लिए कहा। अब मेरा हीमोग्लोबिन 13 है। डाॅक्टर ने कहा है कि अब प्रेग्नेंसी के लिए कोई समस्या नहीं है।
(सोनाली विशाल वासनिक, कपल)
पूरी तरह से स्वस्थ होना जरूरी
आज के समय में अवेयरनेस बहुत बढ़ गई है। प्री-प्रेग्नेंसी काउंसलिंग पहले मेट्रो सिटीज में होती थी, पर अब शहर में भी इसका चलन बढ़ गया है। कपल्स को प्रेग्नेंसी के पहले बहुत सारी सावधानियां रखना जरूरी है, उसके बाद ही प्रेग्नेंसी कंसीव करनी चाहिए। थैलेसीमिया की जांच करानी चाहिए, क्योंकि यह अनुवांशिक होता है, साथ ही एचआईवी टेस्ट करवाना जरूरी होता है। इसके साथ ही हेपेटाइटिस की भी जरूरी है। मुख्य बात है कि बच्चे के लिए प्लानिंग करते समय पति-पत्नी दोनों ही एल्कोहल और सिगरेट से दूर रहें। महिलाओं को इसके लिए विशेष सतर्कता रखनी चाहिए, क्योंकि इससे बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से विकृत हो सकता है, या मिसकैरेज होने की भी संभावना होती है। महिला को वजन पर भी ध्यान देना चाहिए, उसे संतुलित रखना चाहिए। ओवरवेट या अत्यधिक दुबलापन ये दोनों ही स्थितियां गर्भाधारण में नुकसान पहुंचा सकती हैं।
(डॉ. अनुराधा रिधोरकर, कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट, पास्ट प्रेसिडेंट ऑफ नागपुर गायनिक सोसायटी)
Created On :   6 July 2018 2:10 PM IST