30 करोड़ में आईं नई एलईडी, लगते ही होने लगीं खराब, कई जगह अँधेरा, गुणवत्ता पर सवाल

New LED came in 30 crores, started getting bad as soon as it was installed, darkness in many places
30 करोड़ में आईं नई एलईडी, लगते ही होने लगीं खराब, कई जगह अँधेरा, गुणवत्ता पर सवाल
हकीकत - पूरे शहर में लगनी हैं 40 हजार लाइट्स, लगाने में पक्षपात के आरोप 30 करोड़ में आईं नई एलईडी, लगते ही होने लगीं खराब, कई जगह अँधेरा, गुणवत्ता पर सवाल

डिजिटल डेस्क जबलपुर । 30 करोड़ रुपए की लागत से शहर में लगाई जा रहीं 40 हजार एलईडी लाइट्स अभी पूरी भी नहीं लग पाईं हैं कि इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। पहले टेंडर को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे। जिन वार्डों में लाइट्स लग रही हैं वहाँ के लोगों का कहना है कि  ये हमेशा जलती-बुझती रहती हैं और कई बार इनकी रोशनी भी बेहद कम होती है। उनका यह भी कहना है कि प्रभावशाली पूर्व पार्षदों के क्षेत्रों में लाइट्स लगाई जा रही हैं। जहाँ पार्षद विपक्ष के हैं या निष्क्रिय हैं। वहाँ हालात दयनीय है। कई जगह पुरानी और कंडम स्ट्रीट लाइट्स तारों के बीच झूलती नजर आ रही हैं। दावा किया जा रहा है कि शहर में अब तक करीब 14500 नई एलईडी लाइट्स लगाई जा चुकी हैं।   उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी योजना से शहर की पुरानी स्ट्रीट लाइट्स बदलकर एलईडी लाइट्स लगाई जा रही हैं। इसके लिए स्मार्ट सिटी ने भारत सरकार के उपकृम ईएसएसएल को टेंडर दिया है। शहर में लग रहीं चालीस हजार स्ट्रीट लाइट्स पर करीब तीस करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन कई जगह जनता को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। इसकी क्वालिटी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
सार्वजनिक नहीं की गई जाँच रिपोर्ट 
भोपाल के एक शिकायतकर्ता ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्रसिंह को शिकायत करते हुए साफ कहा था कि गोवा, गुडग़ाँव, हैदराबाद, चंडीगढ़ और लखनऊ में भी इसी एजेंसी ने काम किया और वहाँ का प्रशासन एजेंसी के कार्य से संतुष्ट नहीं है, इसलिए जाँच कराई जाए और उसके बाद ही वर्क ऑर्डर जारी हो। इसके बाद जाँच समिति बनी लेकिन आज तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। 
3 समस्याएँ जो मुसीबत बन रहीं
नगर निगम के सामने 3 समस्याएँ मुख्य रूप से हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है। पहला तो यह कि स्ट्रीट लाइट के तार वर्षों पुराने हो गए हैं जिनके कारण एलईडी लाइट्स ठीक से काम नहीं कर पा रही हैं। दूसरी यह है कि कई क्षेत्रों में वोल्टेज की समस्या है और तीसरी यह है कि निगम के सर्किट बड़े हैं, जिनमें एक सर्किट में 150 से अधिक लाइट्स तक शामिल हैं। इससे ट्रांसफॉर्मर ओवरलोडेड हो जाते हैं और समस्याएँ बढ़ जाती हैं। इसका हल जिम्मेदारों को निकलना होगा।

Created On :   2 Oct 2021 2:29 PM IST

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