NGT ने कहा - पूरी फ्लाई ऐश का उपयोग करो नहीं तो जुर्माना भरो, पर्यावरण मंत्रालय से 31 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट

NGT demands report from environment department regarding fly ash
NGT ने कहा - पूरी फ्लाई ऐश का उपयोग करो नहीं तो जुर्माना भरो, पर्यावरण मंत्रालय से 31 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट
NGT ने कहा - पूरी फ्लाई ऐश का उपयोग करो नहीं तो जुर्माना भरो, पर्यावरण मंत्रालय से 31 दिसंबर तक मांगी रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। फ्लाई ऐश का पूरा प्रयोग नहीं करने वाले बिजलीघर की नकेल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी)ने कस दी है। अपने एक आदेश में एनजीटी ने कहा है कि केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय के जनवरी 2016 में जारी शासनादेश के अनुसार 31 दिसंबर 2017 के पूर्व बिजलीघरों को निकलने वाली फ्लाईऐश का पूरी तरह उपयोग करना आवश्यक है। जिन ताप बिजलीघरों ने इस नियम की अनदेखी की है और पूरी फ्लाई ऐश का प्रयोग नहीं किया है, ऐसे बिजली घरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में एक तय की हुई रकम जमा कराएं। इसमें 500 मेगावाट तक की क्षमता वाले बिजलीघरों को 1 करोड़, 1000 मेगावाट क्षमता वाले बिजलीघरों को 3 करोड़ तथा 1000 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले बिजलीघरों को 5 करोड़ रुपए जमा करने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को एक ज्वाइंट कमेटी बनाने को कहा है, जो केवल फ्लाइऐश के 100 प्रतिशत उपयोग के अलावा इसके इसके वैज्ञानिक व पर्यावरण हितैषी तरीके से निपटान की नीति बनाए। एनजीटी ने आदेश दिए हैं कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय 31 दिसंबर तक क्या कार्रवाई की गई जानकारी न्यायाधिकरण को देगा। 

टिप्पणी यह भी 
एनजीटी ने कहा कि  फ्लाई ऐश के 100 प्रतिशत निपटान करने में विफल रहने से आमजन के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर हुआ है। इसे प्रभावी करने के लिए एहतियाती सिद्धांत और प्रदूषण फैलाने वाले भुगतान करें, नियम को लागू किया जाना चाहिए। 

कमेटी बनाएं यह भी देखें कि पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने यह भी निर्देश दिए हैं कि एक ज्वाइंट कमेटी बनाई जानी चाहिए जिसमें पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आईआईटी रुड़की तथा पर्यावरण मंत्रालय यदि अन्य किसी को लेना चाहे तो उन्हें भी ले। समिति केवल फ्लाई ऐश के 100 प्रतिशत प्रयोग के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक व पर्यावरण के लिए उपयुक्त निपटान पर भी नीति बनाए। इसके अलावा कमटी इसका भी अध्ययन करे कि फ्लाई ऐश के 100 निपटान के नियम के उल्लंघन से कितना नुकसान हुआ है। 

केंद्रीय विद्युत अधिकरण की रिपोर्ट क्या कहती है
केंद्रीय विद्युत अधिकरण (सीईए) की वर्ष 2017-18 की पहली छमाही की रिपोर्ट जिसमें अप्रैल 17 से सितंबर तक की स्थिति दी गई ह के अनुसार देश के 138 बिजलीघरों ने कुछ फ्लाई ऐश का 60 प्रतिशत से कुछ अधिक का ही निपटान किया है। रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल 22  बिजलीघर ही ऐसे हैं जहां पूरी तरह से फ्लाई ऐश का निपटान हुआ। 90 प्रतिशत तक 11, 70 प्रतिशत से अधिक 90 प्रतिशत से कम 16, 70 से कम पर 50 प्रतिशत से अधिक 8, 50 प्रतिशत से कम 8 बिजलीघर फ्लाई ऐश का निपटान कर सके। महाराष्ट्र के बिजलीघरों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। महाराष्ट्र में फ्लाई ऐश का निपटन 62 प्रतिशत तक ही हो सका।  प्रदेश की सबसे बड़े विद्युत उत्पादक तथा सरकारी कंपनी महाजैनको के बिजलीघरों में 53.60 प्रतिशत फ्लाई ऐश का ही निपटान हो सका। यहां 4.2513 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न होती है, जबकि निपटान केवल 2.2788 मिलियन टन का ही हो सका है। रिलायंस इनफ्रा का बिजलीघर 62 प्रतिशत से कुछ कम फ्लाई ऐश का निपटान कर सका। रतन इंडिया में मात्र 34 प्रतिशत से कुछ कम का निपटान हुआ है। जबकि जीएमआर वरोरा तथा धारीवाल का प्रदर्शन अल्छा रहा। यहां क्रमश: 98.58 तथा 89.77 प्रतिशत फ्लाई ऐश को ठिकाने लगाया गया।

Created On :   14 Dec 2018 11:22 PM IST

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