अगले 25 साल के लिए रोडमैप बनाए एनआईपीईआर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्रीय रसायन और उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि भारत को सही मायने में ‘विश्व का औषधालय’ कहा जाता है। भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है। उन्होने कहा कि भारत कई देशों को जेनेरिक दवाओं का निर्यात भी कर रहा है। मांडविया ने यह बात सोमवार को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के लिए आजादी का अमृत महोत्सव के प्रतिष्ठित सप्ताह समारोह का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होने कहा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (एनआईपीईआर) ने भारत में फार्मा उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होने कहा कि उनका पाठ्यक्रम और अनुसंधान उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए और उन्हें एमएसएमई को नवीन समाधान प्रदान करने चाहिए। उन्होने यह भी कहा कि एनआईपीईआर को देश में शुरू किए जा रहे चिकित्सा उपकरण पार्कों के साथ भी सहयोग करना चाहिए।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, तो फार्मास्युटिकल विभाग और एनआईपीईआर को अगले 25 साल के लिए रोडमैप के बारे में सोंचना चाहिए। आज हम सक्रिय दवा सामग्री के लिए आयात पर निर्भर हैं। भारत में दवाओं के बहुत कम पेटेंट हैं। यह आने वाले 25 वर्षों में बदलना चाहिए। उन्होने कहा कि हमें इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
Created On :   4 Oct 2021 8:54 PM IST