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स्टाम्प शुल्क के नाम पर NIT ने वसूले 44 करोड़

योगेश चिवंडे,नागपुर। एक-दो माह नहीं, लगातार 11 माह से भी अधिक समय तक जनता को अंधेरे में रख NIT ने अस्तित्व समाप्त होने के बाद भी करोड़ों की चोट दी है। प्रतिमाह लगभग 4 करोड़ रुपए जनता से ऐंठ लिए, जबकि उसे ऐसा करने से मना भी किया गया था। खुलासे के बाद अभी तक का यह आंकड़ा प्रतिमाह 4 करोड़ के हिसाब से 44 करोड़ पार पहुंच चुका है ।
याद रहे : नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) ने अप्रैल 2017 से शहर सीमा के बाहर अर्थात ग्रामीण क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया है। एनएमआरडीए द्वारा यह कमान संभालने के बाद नागपुर सुधार प्रन्यास (नासुप्र) का ग्रामीण क्षेत्र से संबंध टूट गया है।
आपत्ति यह : बावजूद इसके नासुप्र स्टॉम्प ड्यूटी के नाम पर रजिस्ट्री का 0.5 प्रतिशत कमीशन ले रही है। सह-पंजीयक महानिरीक्षक तथा मुद्रांक अधीक्षक (मुख्यालय) पुणे ने 2 नवंबर 2017 को इस पर आपत्ति जताई और नासुप्र से स्पष्ट कहा कि आप यह शुल्क नहीं ले सकते।
हद हो गई : नासुप्र से जवाब भी मांगा, लेकिन नासुप्र ने कोई जवाब नहीं दिया है।
खुद कदम उठाना था : दरअसल, होना यह चाहिए था कि नासुप्र खुद इस बारे में मुद्रांक अधीक्षक को सूचित कर रजिस्ट्री से 0.5 प्रतिशत स्टॉम्प ड्यूटी कम करने के लिए कहती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अप्रैल 2017 से अब तक लगातार वह रजिस्ट्री पर 0.5 प्रतिशत स्टैम्प ड्यूटी वसूल रही है।
ऐसे चला क्रम : नवंबर 2017 में अधिवक्ता संदीप खेडकर ने नासुप्र द्वारा की जा रही अवैध वसूली की शिकायत नागपुर स्थित सह जिला निबंधक वर्ग-1 तथा मुद्रांक जिलाधिकारी से की। इस पत्र के बाद प्रशासन हरकत में आया। पुणे स्थित पंजीयन महानिरीक्षक व मुद्रांक नियंत्रक, पुणे को इससे अवगत कराया गया। {2 नवंबर 2017 को मुद्रांक अधीक्षक कार्यालय ने पत्र जारी कर खुलासा मांगा। फिर भी जवाब नहीं मिला। {13 दिसंबर 2017 को मुद्रांक अधीक्षक कार्यालय ने सह जिला निबंधक तथा मुद्रांक जिलाधिकारी, नागपुर शहर को पत्र जारी कर साफ कहा कि नासुप्र को क्षेत्र के बाहर स्टॉम्प ड्यूटी लेने का अधिकार नहीं है।
ऐसे खुली पोल : इसके बाद मुद्रांक अधीक्षक, पुणे द्वारा 13 दिसंबर 2017 को सह जिला निबंधक तथा मुद्रांक जिलाधिकारी नागपुर को पत्र जारी कर कहना पड़ा कि जो क्षेत्र नासुप्र अधिकार से बाहर हो गया है, उस क्षेत्र में नासुप्र को कर वसूली का अधिकार नहीं है। इस तरह की वसूली न हो, इसका ध्यान रखा जाए। मुद्रांक अधीक्षक के पत्र से नासुप्र द्वारा रजिस्ट्री पर वसूली जा रही 0.5 प्रतिशत स्टॉम्प ड्यूटी अवैध होने का खुलासा हुआ है।
इसलिए एनएमआरडीए का गठन : फिलहाल शहर सीमा के बाहर विकास के लिए राज्य सरकार ने एनएमआरडीए का गठन किया है। एनएमआरडीए ने अप्रैल 2017 से कामकाज शुरू कर दिया है। एनएमआरडीए के आयुक्त डॉ. दीपक म्हैसेकर ने अनेक योजनाएं भी हाथों ली हैं। ऐसे में नासुप्र का ग्रामीण क्षेत्र से स्टॉम्प ड्यूटी लेने का अधिकार भी समाप्त हो गया है। अप्रैल 2017 से वह स्टॉम्प ड्यूटी नहीं ले सकती है।
कोई जवाब नहीं
नासुप्र को खुद ही यह स्टॉम्प ड्यूटी कम करने के लिए कहना था, लेकिन वह इसे लेकर गंभीर नहीं। नुकसान आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। नागरिकों को रजिस्ट्री पर ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। नासुप्र ने अब तक करोड़ों रुपए वसूल किए हैं, जबकि मुद्रांक अधीक्षक ने पत्र में साफ कहा है कि नासुप्र को क्षेत्र के बाहर स्टॉम्प ड्यूटी लेने का अधिकार नहीं है। नासुप्र ने पत्र का कोई जवाब अभी तक नहीं दिया है। यह गलत है। आगे की कार्रवाई मुद्रांक अधीक्षक कार्यालय व जिलाधिकारी को करनी है।
-एड. संदीप खेडकर, शिकायतकर्ता
सरकार को भेजा है प्रस्ताव
ग्रामीण क्षेत्रों में पहले नासुप्र काम कर रहा था। अब एनएमआरडीए है। नासुप्र की तरह ही एनएमआरडीए को भी स्टॉम्प ड्यूटी का फायदा मिले, इस बारे में हाल में प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को पत्र भेजा है। पत्र में सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। नासुप्र को मुद्रांक अधीक्षक कार्यालय का पत्र मिला है।
-सुनील गुज्जलवार, अधीक्षक अभियंता, नासुप्र
Created On :   9 Feb 2018 2:37 PM IST