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एनएमसी की 8 डिस्पेंसरी बनेगी मॉडल, टाटा ट्रस्ट ने बढ़ाए मदद के हाथ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लंबे समय से खस्ता हाल पड़ी एनएमसी की डिस्पेंसरी अब मॉडल होने जा रही है इसके लिए टाटा ट्रस्ट ने मदद का हाथ बढ़ाया है। टाटा ट्रस्ट ने कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत शुरुआत में 8 डिस्पेंसरी को माॅडल के रूप में तैयार करने का प्रस्ताव मनपा के सामने रखा था। इस पर विचार कर मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग (MoU) तैयार कर लिया गया। मनपा के स्वास्थ्य समिति सभापति मनोज चाफले, स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अनिल चिव्हाणे, डॉ.प्रदीप दासरवार सहित समिति के सदस्य व अन्य लोग उपस्थित थे।
बता दें वर्तमान में बहुत सी डिस्पेंसरी में कई सारी जांचों की सुविधा नहीं है, ऐसे में ट्रस्ट वहां पैथोलॉजी विभाग डेवलप कर मरीजों के रक्त नमूनों की जांच करेगा। साथ ही मनपा की डिस्पेंसरी की हालत भी सुधारी जाएगी। सीएसआर पर संचालित होने पर डिस्पेंसरी की आंतरिक एवं बाहरी दोनों ही हालतों में सुधार देखने को मिलेगा।
स्वास्थ्य सेवा की ओर दिया जा रहा ध्यान
शहर के लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी मनपा की है। इसके लिए मनपा ने विभिन्न क्षेत्रों में डिस्पेंसरी खोल रखी है। इसके अतिरिक्त कुछ इनडोर हॉस्पिटल भी हैं, लेकिन सभी खस्ताहाल हैं। इन्हें लेकर हमेशा सवाल खड़े होते हैं। पहले लोग इन अस्पतालों में इलाज करवाने बड़ी संख्या में जाते थे, लेकिन दिनों-दिन इसकी हालत बिगड़ती गई और लोग दूसरे अस्पतालों की शरण लेने लगे। हाल ही में संतरानगरी का नाम स्मार्टसिटी की सूची में शामिल हुआ। लिहाजा मनपा को ख्याल आया कि उसे भी स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है
13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का स्थानांतरण
इधर, नगर परिषद तथा नगर पंचायत क्षेत्रों में चल रहे 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का ग्रामीण क्षेत्र में स्थानांतरण किया जाएगा। जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस दिशा में गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इस संबंध में संबंधित नगर परिषद तथा नगर पंचायतों को पत्र भेजकर शासन निर्णय से अवगत कराया गया है।
जिला परिषद में नहीं शुरू हुई कोई स्वास्थ्य सेवा
राज्य सरकार की ओर से जिले की 7 ग्राम पंचायतों को नगर परिषद और नगर पंचायत का दर्जा दिया गया। इन क्षेत्रों में जिला परिषद के 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरसों से चल रहे हैं। नगर परिषद और नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद भी इन स्थानीय संस्थाओं ने अपनी स्वास्थ्य सेवा शुरू नहीं की है। जिला परिषद के स्वास्थ्य केंद्रों पर ही अपनी स्वास्थ्य सेवा निर्भर है। जिला परिषद के अधिकार क्षेत्र से हटाने के बाद भी इन क्षेत्रों में चल रहे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के खर्च का बोझ जिला परिषद पर पड़ रहा है।
अतिरिक्त बोझ होगा कम
जिला परिषद पर पड़ रहा अतिरिक्त बोझ कम करने के लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का ग्रामीण क्षेत्र में स्थानांतरण करने की अनुमति देने का प्रस्ताव भेजा गया था। स्वास्थ्य संचालक ने नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में कार्यरत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्थानांतरण प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई है। इस पत्र के आधार पर जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग की ओर से 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्थानांतरण की गतिविधियां तेज कर दी गई है।
इन क्षेत्रों से स्थानांतरण
जिले के मोहपा, खापा, मोवाड़, कन्हान पिपरी, मौदा नगर पालिक क्षेत्र में जिला परिषद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और वाड़ी नगर परिषद, महादुला नगर पंचायत क्षेत्र में स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं।इन स्वास्थ्य केंद्रों पर नगरपालिका तथा नगर पंचायतों की ओर से फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं किया जाता।
जिपं पर पड़ रहा है बोझ
जिला परिषद उपाध्यक्ष तथा स्वास्थ्य समिति सभापति शरद डोणेकर ने कहा कि नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में जिला परिषद के 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा उपकेंद्र हैं। इन केंद्रों में कर्मचारी कार्यरत रहने से ग्रामीण क्षेत्र की सेवा पर परिणाम हो रहा है। नगर परिषद और नगर पंचायतों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतों का हस्तांतरण के लिए जिला परिषद तैयार है। मानव संसाधन कम पड़ने से नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र में सेवा देना जिला परिषद को भारी पड़ रहा है। संबंधित स्थानीय संस्थाओं को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा शुरू करनी चाहिए।
Created On :   15 Nov 2017 12:41 PM IST