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कचरे से निजात पाने इंदौर पैटर्न अपनाएगी मनपा, संकलन व ट्रांसपोर्टेशन होगा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। NMC सफाई के लिए अब इंदौर पैटर्न अपनाने जा रही है। संतरानगरी में इन दिनों स्वच्छता सर्वेक्षण चल रहा है, लेकिन शहर की हालत देखकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में संतरानगरी की मनपा शहर की रेटिंग सुधारने के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में पहले नंबर पर आने वाले शहर इंदौर की तर्ज पर कचरे का संकलन और ट्रांसपोर्टेशन की तैयारी कर रही है। कनक रिसोर्स का कांट्रैक्ट खत्म होने के बाद नए कांट्रैक्ट में इन शर्तों को रखा जाएगा। बैठक में कंपनी का कंसल्टेंट, महापौर नंदा जिचकार, अतिरिक्त आयुक्त रवींद्र ठाकरे, राम जोशी सहित मनपा के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सूखा-गीला कचरा अलग करना कठिन
मनपा ने स्वच्छता सर्वेक्षण में आवेदन में मात्र 3 ही स्टार मांगे, हालांकि स्वच्छता सर्वेक्षण में विभिन्न कैटेगरी के आधार पर 7 स्टार शामिल किए गए हैं। 7 स्टार पाने वाले शहर को स्वच्छता में अव्वल माना जाता है। मनपा ने दावा किया है कि वह 60 फीसदी से अधिक सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग जमा करते हैं, इस वजह से 3 स्टार के लिए ही आवेदन कर सकते हैं।
इंदौर इसलिए अव्वल
-घर-घर से कचरा जमा किया जाने वाला सूखा और गीला कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है।
-इंदौर में करीब 500 सौ कचरा जमा करने वाली गाड़ियां हैं, जिन पर गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) का एक व्यक्ति रहता है और वह कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
-गीला और सूखा कचरा एक ही गाड़ी में अलग-अलग कंटेनर में घर से जाता है। ट्रांसफर स्टेशन पर सूखे कचरे को अलग और गीले कचरे को अलग गाड़ी में डाल दिया जाता है। यहां कचरे को कंप्रेस किया जाता है, जिससे कम जगह लगे।
-ट्रांसफर स्टेशन पर गाड़ी में कचरा जमा होने के बाद गीला कचरा खाद बनाने के लिए डपिंग यार्ड भेज दिया जाता है, जबकि सूखे को अलग-अलग किया जाता है, जिसे बाद में बेच दिया जाता है।
नागपुर इसलिए पीछे
-नागपुर में अभी पूरी तरह से कचरे को अलग-अलग जमा नहीं किया जाता है।
-कचरा जमा करने वाली गाड़ियों पर गैर सरकारी संस्थाओं के स्वयंसेवक नहीं हैं, जागरूकता का अभाव।
-कचरे के लिए ट्रांसफर स्टेशन की जगह कलेक्शन सेंटर हैं, जहां कचरा जमा होता है।
-कचरे को कंप्रेश नहीं किया जाता है, खाद नहीं बनाई जा रही है।
Created On :   25 Jan 2019 1:15 PM IST