आदिवासी विकास विभाग में आयुक्त नहीं, विभाग का नाम विकास पर विकास नहीं

No Commissioner in Tribal development Department of Nagpur
आदिवासी विकास विभाग में आयुक्त नहीं, विभाग का नाम विकास पर विकास नहीं
आदिवासी विकास विभाग में आयुक्त नहीं, विभाग का नाम विकास पर विकास नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिवासी विकास विभाग पर आदिवासियों के विकास व आदिवासियों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने की जिम्मेदारी है। इसके लिए विभाग को केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से निधि उपलब्ध कराई जाती है। आदिवासी विकास विभाग नागपुर में अपर आयुक्त व उपायुक्त नहीं है। जाति संबंधी शिकायतों की जांच के लिए कई महीनों से पुलिस उपअधीक्षक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के बावजूद कर्मचारियों को एन्युअल कांफीडेंशल रिपोर्ट (एसीआर) नहीं दिया जा रहा। आदिवासी विकास विभाग में कास्ट वैलिडीटी (जाति वैधता) व प्रोजेक्ट ऐसे दो सेक्शन है। पहले सेक्शन का काम आदिवासी के नाम पर नौकरी पर लगे कर्मचारी-अधिकारियों की जाति वैधता की जांच पड़ताल करना है। इसमें गलत पाए जाने पर पुलिस में शिकायत करना। इसीतरह जाति वैधता संबंधी संदेह या शिकायत होने पर कार्यालय में उपलब्ध पुलिस अधिकारी के मार्फत जांच पड़ताल करना। दूसरे सेक्शन का काम आदिवासियों के विकास व कल्याण के लिए योजनाएं चलाना, प्रोजेक्ट पर अमल करना है। आदिवासियों के शिक्षा संबंधी प्रोजेक्ट चलाए जाते है। आदिवासी विकास विभाग नागपुर के अंतर्गत नागपुर, वर्धा, भंडारा, गांेदिया, गडचिरोली व चंद्रपुर जिले आते है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कर्मचारियों को नहीं मिल रही एसीआर की कॉपी 

नागपुर समेत छह जिलों का कामकाज देखने के लिए यहां फुलटाइम अतिरिक्त आयुक्त ही नहीं है। पूर्व अतिरिक्त आयुक्त ऋषिकेश मोडक का तबादला वाशिम जिलाधिकारी के रूप में हुआ है। तीन महीने से यहां उपायुक्त नहीं है। कार्यालयीन अधीक्षक का पद खाली पड़ा है। सहायक प्रकल्प अधिकारी के दोनों पद खाली पड़े है। प्रोजेक्ट सेक्शन में 20 पद खाली पड़े है। अतिरिक्त आयुक्त का चार्ज आदिवासी विकास विभाग अमरावती के अपर आयुक्त संभाल रहे है। सहायक आयुक्त विलिन खडसे उपायुक्त का अतिरिक्त चार्ज संभाल रहे है। आदिवासियों के कल्याण के लिए जिस विभाग में हर साल करोड़ों की निधि आती है, उस विभाग में मुखिया नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में (देवदत्त विरुध्द यूनियन आफ इंडिया) आदेश दिया था कि हर कर्मचारी को एसीआर की कॉपी मिलनी चाहिए। कर्मचारी एसीआर से खुश नहीं है तो इसे उच्च अधिकारी के पास चुनौती भी दी जा सकती है। पदोन्नति में  एसीआर की अहम भूमिका होती है। यहां कर्मचारियों को एसीआर की कापी ही नहीं दी जा रही। राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने 1 नवंबर 2011 को कर्मचारियों को एसीआर देने संबंधी जीआर जारी किया था। सरकारी आदेश पर यहां अमल नहीं हो रहा। 

राज्यमंत्री आत्राम से नहीं हुआ संपर्क 

खबर के संबंध में पक्ष जानने के लिए आदिवासी विकास राज्यमंत्री अमरीशराजे आत्राम को कई बार मोबाइल लगाए, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। उनके मोबाइल पर मैसेज भी भेजा, लेकिन जवाब नहीं मिला। आयुक्त स्तर का अधिकारी देना व रिक्त पदों की पूर्ति करना मंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है। 

उपायुक्त ने नहीं उठाया मोबाइल 

इससंबंध में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त व प्रभारी उपायुक्त विलिन खडसे से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल नहीं उठाया गया।
 

Created On :   4 March 2019 10:16 AM GMT

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