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राज्य के 13 हजार स्कूलों में नहीं बिजली, बिल बकाया होने पर MSEB ने काटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य की 13 हजार जिप शालाओं में अब भी बिजली नहीं है। जहां बिजली है उस पर महीनों का बिल बकाया होने के कारण बिजली काटने की कार्रवाई चल रही है। बिजली बिल वसूली के लिए MSEB ने कार्रवाई तेज कर दी है। वैसे तो नागपुर जिले की कुल 1560 शालाओं में से करीब 100 शालाएं बिजली से वंचित हैं। शेष बची शालाओं में से 341 शालाओं की बिजली पिछले वर्ष बिल नहीं भरने के कारणकाट दी गई थी। जिसके बाद 10 लाख रुपए भरकर जिला परिषद ने विद्युत आपूर्ति शुरू करवाई थी।
बिना बिजली की हैं 13000 स्कूलें : बता दें कि राज्य में करीब 13000 जिला परिषद की शालाएं अभी भी बगैर बिजली के हैं। इन शालाओं को व्यावसायिक दर से बिजली दी जाती है, जो काफी ऊंची हैं। बच्चों तक शिक्षा पहुंचे, इसलिए विद्युत अपीलीय प्राधिकरण के एक आदेश के बाद सन 2012 में महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने शैक्षणिक संस्था, दवाखाना, वाचनालय व सार्वजनिक सेवा देने वाले उपभोक्ताओं के लिए विशेष दर पर बिजली देने के आदेश दिए थे। ये दरें व्यावसायिक दरों से कम व घरेलू दर से कुछ अधिक थीं, लेकिन जानकारी के अभाव में शालाएं इसका लाभ नहीं ले पाई हैं। दूसरी ओर महावितरण बिल नहीं भरने के कारण बिजली काट रही है।
किस संस्था के लिए है विशेष दर: महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने महावितरण के विद्युत दर वृद्धि प्रस्ताव पर 16 अगस्त 2012 को दिए आदेश में उच्चदाब-9 व लघुदाब-10 सार्वजनिक सेवा नाम से नई श्रेणी निर्मित की थी। इसमें शैक्षणिक संस्था सहित, अस्पताल, पुलिस थाने, न्यायालय, दवाखाना, प्राथमिक आरोग्य केंद्र, डाकघर, अग्निशमन केंद्र, सार्वजनिक वाचनालय, पठन-कक्ष, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, कारागृह व विमानतल शामिल हैं। शुरुआत में इसमें सभी सरकारी व निजी शाला, अस्पताल आदि को शामिल किया गया था। जून 2015 में इस श्रेणी में ग्राम पंचायत, नगरपालिका, तहसील पंचायत, जिला परिषद, महापालिका व इनके सभी कार्यालयों को भी शामिल किया गया। पिछले आदेश में इस श्रेणी को सरकारी व निजी दो उपश्रेणियों में बांट दिया गया। दोनों श्रेणी की विद्युत दरों में कुछ अंतर रखा गया है।
विधानसभा में भी उठा था सवाल : 2012 में आयोग के आदेश के बाद भी जब महावितरण ने इस श्रेणी का लाभ लाभार्थियों को नहीं दिया, तो मार्च 2014 के बजट सत्र में कुछ विधायकों ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाया। तत्कालीन शासन ने इसका व्यापक प्रचार व इस पर त्वरित कार्रवाई करने की मंशा विधानसभा में जाहिर की थी। साथ ही महावितरण ने स्वयं संज्ञान लेकर व लाभार्थी चिह्नित कर उन्हें लाभ देने का आश्वासन दिया था। साथ ही सभी लाभार्थियों को 1 अगस्त 2012 से लाभ देना था।

Created On :   2 Dec 2017 2:57 PM IST