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मेडिकल हास्पिटल में हेपेटाइटिस-बी की जांच दो सप्ताह से बंद, वैक्सीन भी नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूरे विदर्भ का सबसे बड़ा हास्पिटल शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में भी सुविधाओं का अभाव देखा जा रहा है। यहां हेपेटाइटिस-बी जैसी गंभीर बीमारी के लिए टीकाकरण (वैक्सीन) की बात तो दूर जांच की सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि पिछले छह माह से टीकाकरण के लिए यहां वैक्सीन नहीं। दो सप्ताह से जांच भी बंद हो गई है। इसकी व्यवस्था करने के स्थान पर मेडिकल प्रबंधन चैन की नींद ले रहा है। यह हाल तब है, जब कर्मचारी और विद्यार्थी इसकी शिकायत कई बार चुके हैं।
आशंका
बता दें कि हेपेटाइटिस रोगी का ब्लड ट्रासंफ्यूजन लेने, शारीरिक संबंध बनाने, टैटू, एक इंजेक्शन का किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा उपयोग या फिर उसका रेजर, टूथब्रश, नेल कटर का उपयोग करने से बीमार होने की आशंका बनी रहती है।
स्थिति
उल्लेखनीय है कि स्वस्थ और वे मरीज जिनके मामले ताजे होते हैं, उनके अच्छे होने की संभावना ज्यादा रहती है, जबकि नवजात शिशु व छोटे बच्चे आसानी से ठीक नहीं होते हैं। 1 से 5 साल के संक्रमित बच्चे जीर्ण हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित होते हैं, जबकि नवजात शिशु संक्रमित होने पर सिर्फ 10 फीसदी ठीक हो पाते हैं। हेपेटाइटिस-बी शांत संक्रमण है, इसके निशान नहीं होते हैं। गंभीर बीमारी को लेकर मेडिकल प्रशासन की उदासीनता चिंता का विषय है।
पहला ही नसीब नहीं
हेपेटाइटिस वैक्सीनेशन डोज लेने के बाद अगले माह दूसरा डोज और फिर 6वें माह में तीसरा डोज लेना पड़ता है, लेकिन मेडिकल में मरीजों को पहला डोज ही नसीब नहीं हो रहा है।
20 में सिर्फ 1 को मिल पाता है उपचार
स्वास्थ्य संस्थानों में गड़बड़ी के चलते ही यह स्थिति बनी हुई है कि हेपेटाइटिस-बी के 20 रोगियों में से सिर्फ 1 को ही उपचार मिल पाता है। मुख्य वजह यह है कि कई अस्पतालाें में इसका उपचार नहीं और जहां है, वहां होता नहीं।
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Created On :   20 Jun 2018 12:49 PM IST