अब मजदूरों को घर भेजने के लिए ट्रेन चलाने की जरुरत नहीं

No need to run a train to send laborers home
अब मजदूरों को घर भेजने के लिए ट्रेन चलाने की जरुरत नहीं
अब मजदूरों को घर भेजने के लिए ट्रेन चलाने की जरुरत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि अब महाराष्ट्र में इतने प्रवासी मजदूर नहीं बचे हैं कि उन्हें उनके घर भेजने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में काम की शुरुआत हो गई है, इसलिए मजदूर गांव जाने की बजाय अपने काम मे जुट गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में आवश्यक हुआ, तो ही ट्रेन चलाने पर विचार होगा। फिलहाल इतने लोग नहीं है, जिससे पूरी ट्रेन भर सके। हाईकोर्ट में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन और दो प्रवासी मजदूरों की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में दावा किया गया है कि श्रमिक एक्सप्रेस से गांव जाने के इच्छुक लोगों को उनके आवेदन के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है, जिससे उनकी चिंताए बढ़ रही हैं। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने महाधिवक्ता श्री कुम्भकोणी ने कहा कि श्रमिक एक्सप्रेस की सुविधा ऐसे लोगों के लिए है, जो वाकई में मजदूर हैं। प्रवासी मजदूरों की इतनी संख्या नहीं है, जिसके लिए एक पूरी ट्रेन चलाई जाए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में काम-काज शुरु हो गए हैं, इसलिए मजदूर गांव जाने की बजाय काम पर लौटने को प्राथमिकता दे रहे हैं। 

31 मई तक 11 लाख 54 हजार मजदूर गए गांव

इससे पहले इस विषय पर सरकार ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया था कि 31 मई 2020 तक 11 लाख 54 हजार 145 श्रमिक यात्रियों को ट्रेन से उनके गांव भेजा चुका है। कुम्भकोणी की दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई को नौ जून तक स्थगित कर दिया। अगली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील रोनिता बेक्टर खंडपीठ के सामने अपना पक्ष रखेंगी। 
 

Created On :   5 Jun 2020 2:30 PM GMT

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