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359 स्कूलों में नहीं खेल के मैदान, हाईकोर्ट ने लगाई शिक्षा विभाग को फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में तेजी से गली-गली में स्कूल खुल गए हैं। यहांं न बच्चों के खेलने के लिए मैदान हैं और न ही अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इनमें सरकारी से लेकर निजी स्कूल सभी शामिल हैं। नागपुर के स्कूलों में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर जब नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, तो पता चला कि नागपुर जिले के 359 स्कूलों में खेल के मैदान ही नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षाधिकारी ने शपथपत्र पर यह जानकारी कोर्ट को दी। इसमें से अधिकांश स्कूल प्राथमिक शिक्षाधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। शेष कुछ स्कूल हैं, जो माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत आते हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक फील्ड अधिकारी को स्कूलों में खेल के मैदान हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है।
इस प्रकरण में प्राथमिक शिक्षा विभाग से कोर्ट को कोई उत्तर नहीं मिलने से नाराज हाईकोर्ट ने जिला प्राथमिक शिक्षाधिकारी के खिलाफ 10 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है। अगली सुनवाई 19 सितंबर को रखी गई है। मामले में एड. अनिरुद्ध अनंत कृष्णन न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं।
7 स्कूलें हुईं बंद, आरटीई में खुलासा
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अनुसार जिन 359 स्कूलों में खेल के मैदान नहीं है, इनमें से 7 स्कूल बंद हो चुके हैं, शेष 48 स्कूलों ने खेल के मैदान की पर्याय व्यवस्था कर रखी है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के अनुसार विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूलों में खेल का मैदान होना अनिवार्य है। बीते दिनों जब कोर्ट के संज्ञान में यह आया कि नागपुर के अधिकांश स्कूलों में खेल के मैदान नहीं हैं, तो कोर्ट ने इस मुद्दे पर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की थी। माध्यमिक शिक्षा विभाग को इस संबंध में अपना शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा गया था।
शिक्षा विभाग के अनुसार नागपुर जिले में 109 जिला परिषद के स्कूल, 6 नगर परिषद स्कूल, 27 मनपा स्कूल, 60 निजी स्कूल, 65 निजी अनुदानित स्कूल हैं। यहां खेल के मैदान नहीं हैं। इसमें से अधिकांश स्कूल प्राथमिक शिक्षा विभाग के तहत आते हैं। कोर्ट विभाग के इस शपथपत्र से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने उनसे जानकारी मांगी है कि कौन से स्कूल में मैदान नहीं हैं, कौन से स्कूल ने किस मैदान में विद्यार्थियों के खेलने की पर्यायी व्यवस्था की है। इस पर चार सप्ताह बाद सुनवाई रखी गई है।
क्या कहता है जीआर
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों के लिए गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए पेयजल, शौचालय, शिकायत पेटियां, अग्निशमन यंत्र, इमारत की रूपरेखा जैसे तमाम मुद्दों का स्पष्ट उल्लेख है। इसी में स्कूल मैदान संबंधी दिशा-निर्देशों का जिक्र है। प्रदेश सरकार के 26 अक्टूबर 2012 के जीआर के मुताबिक हर स्कूल में अनिवार्य रूप से खेल का मैदान होना चाहिए। अगर स्कूल के पास मैदान योग्य जमीन न भी हो तो स्कूल को किराए पर खेल का मैदान लेने की अनुमति है।
पूर्व में डॉ. नईम अख्तर, मो. आरिफ और फैजान अख्तर ने हाईकाेर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में दावा किया गया था कि राज्य में लागू आरटीई अधिनियम के तहत स्कूलों में जो सुविधाएं और व्यवस्थाएं होनी चाहिए, वे कामठी के स्कूलों में नहीं हैं। कामठी नगर परिषद ने इससे सबक लेकर स्कूलों में सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई थीं, लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ कामठी की नहीं, बल्कि पूरे नागपुर के स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था और खेल के मैदानों पर संज्ञान लिया था।
Created On :   30 Aug 2018 11:58 AM IST