नागपुर, अमरावती सहित राज्य की सेंट्रल जेलों में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं

Not a single MBBS doctor in the states central jails, including Nagpur, Amravati
नागपुर, अमरावती सहित राज्य की सेंट्रल जेलों में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं
नागपुर, अमरावती सहित राज्य की सेंट्रल जेलों में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नागपुर, अमरावती सहित राज्य की अन्य सेंट्रल जेलों में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है। जबकि नियमों में जेल के लिए अलग अलग श्रेणी के मेडिकल स्टाफ का प्रावधान है। बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में कैदियों को कोरोना से बचाने के उपायों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किए गए रिकॉर्ड से इस बात का खुलासा हुआ। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि मेडिकल स्टाफ की श्रेणी क्लास एक में एमबीबीएस डॉक्टर का समावेश है लेकिन अमरावती, नागपुर, येरवडा (पुणे), कोल्हापुर सेंट्रल जेल में एक भी क्लासवन का मेडिकल स्टाफ नहीं है।सरकार के रिकॉर्ड को देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जेल में डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड दर्शाता है कि जेल में मेडिकल स्टाफ के एक तिहाई पद रिक्त पड़े हैं। राज्य के अस्पतालों पर पहले से काफी बोझ है। इसलिए कम से कम जेल के मेडिकल स्टाफ के तौर पर मंजूर किए गए पद तो भी भरे जाए। 

कैदियों के टीके के लिए केंद्र सरकार की एसओपी का पालन

इससे पहले खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कैदियों को कोरोना का टीका देने के लिए केंद्र सरकार के स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर(एसओपी) का पालन करें। ख़ास तौर से उन कैदियों के लिए जिनके पास आधार कार्ड नहीं है। पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पूछा था कि जिन कैदियों के पास आधारकार्ड नहीं हैं, उनके टीके को लेकर क्या किया जाएगा। बुधवार को केंद्र व राज्य सरकार ने कहा कि 6 मई 2021 को केंद्र सरकार ने एक एसओपी जारी की है। जिसके तहत जिलों में बनाए गए टास्क फोर्स को ऐसे लोगों के कोविन पोर्टल पर पंजीयन की जिम्मेदारी दी गई है, जिनके पास आधार कार्ड व कोई फोटो पहचान पत्र नहीं है। टास्क फोर्स को इनके टीकाकरण को सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी दी गई है। केन्द्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सरकार की इस एसओपी से बगैर आधार कार्ड वाले कैदियों को भी टीका लगाया जा सकेगा।

इस बीच खंडपीठ ने जेल में मेडिकल स्टाफ की कमी को लेकर चिंता जाहिर की। खंडपीठ ने कहा कि नईमुंबई के तलोजा जेल में सिर्फ तीन आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। जबकि नियमानुसार जेल में सभी जरूरी मेडिकल स्टाफ होना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार की ओर से मामले को लेकर दायर किया गया हलफनामा मेडिकल स्टाफ के मुद्दे पर पूरी तरह से मौन है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार कह रही है उसके पास डॉक्टर हैं। यदि ऐसा है उसे जेलों में उपलब्ध डॉक्टर की संख्या भी दिखानी चाहिए।कोर्ट ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 19 मई 2021 तक के लिए स्थगित कर दी है।  
 

Created On :   12 May 2021 6:28 PM IST

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