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महाराष्ट्र में नहीं चाहते यूपी जैसी स्थिति, हाईकोर्ट ने कहा - महिला और गवाहों को दें सुरक्षा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश में गवाहों की हत्या कर दी जाती है, वैसी स्थिति हम महाराष्ट्र में नहीं चाहते है। हाईकोर्ट ने यह बात पुलिस को वेश्यावृत्ति से बाहर आई और यौन हमले का शिकार एक पीड़िता और मामलों से जुड़े गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कही। हाईकोर्ट ने मीरारोड-भायंदर के पुलिस उपायुक्त को तत्काल मामले से जुड़ी पीड़िता व गवाहों को अदालत के अगले आदेश तक निशुल्क पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है।न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटाले की खंडपीठ ने यौन हमले का शिकार एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। महिला में याचिका में कहा है कि जब वह 17 साल की थी तो उसके अभिभावकों ने उसे मुंबई के डांसबार में जबरन काम करने के लिए कहा। इसके बाद वह और उसकी तीन बहनों व चार अन्य नाबालिग लड़कियों को वेश्यावृत्ति के व्यवसाय में ढकेल दिया गया। महिला ने याचिका में कहा है कि उसे साल 2012 से 2014 के बीच एक एजेंट के मार्फत वेश्यावृत्ति के लिए तीन बार दुबई भेजा गया था।
याचिका के अनुसार महिला को मार्च 2020 में पता चला कि वह तीन महीने की गर्भवती है। इसके बाद उसके पिता ने उसे धमकाते हुए कहा था कि यदि वह वेश्यावृत्ति के व्यवसाय को जारी नहीं रखेगी तो वह उसे व उसके अजन्मे बच्चे को जान से मार देंगे। अगस्त 2020 में महिला ने बच्चे को जन्म दिया और चारकोप में अपने पिता का घर छोड़कर वह अपने दोस्त के घर में किराए से रहने लगी।
याचिका में महिला ने कहा है कि उसने दिसंबर 2020 में भायंदर पुलिस स्टेशन में दो लोगों के खिलाफ एनसी दर्ज कराई थी। इन दो लोगों को उसके पिता ने भेजा था। उन्होंने उसे दोबारा वेश्यावृत्ति में लौटने को कहा था। इसके बाद महिला को धमकी भरे फोन आने लगे। इससे परेशान होकर महिला मीरारोड व काशीमिरा पुलिस स्टेशन में अपने पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए गई। लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत का संज्ञान नहीं लिया। लिहाजा महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें महिला ने पुलिस को उसकी शिकायत के आधार पर एफाईआर दर्ज करने का निर्देश देने व पुलिस सुरक्षा देने की मांग की है। याचिका में महिला ने खुद के लिए व मामले से जुड़े गवाहों को पुलिस सुरक्षा देने का आग्रह किया है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ पाया कि पुलिस ने मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जिस पुलिस अधिकारी को मामले की जांच सौपी गई है, वह गंभीरता से मामले की जांच कर रहे है। लेकिन यदि जांच पर कोर्ट की निगरानी रहेगी तो बेहतर होगा। उन्होंने याचिकाकर्ता व गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का भी आग्रह किया। अतिरिक्त सरकारी वकील संगीता शिंदे ने कहा कि नए जांच अधिकारी को प्रकरण की जांच के लिए थोड़ा समय दिया जाए। वे दो सप्ताह में मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट पेश करेंगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामलों में क्या होता है हम जानते हैं। वहां गवाहों की हत्या कर दी जाती है। हम नहीं चाहते की उत्तर प्रदेश जैसी परिस्थिति महाराष्ट्र में हो। इसलिए हम चाहते हैं कि याचिकाकर्ता,उसके मित्र व मामले से जुड़े गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 26 अप्रैल 2021 को रखी है।
Created On :   8 April 2021 7:11 PM IST