अब छेड़छाड़ और पाक्सो के संदिग्ध मामलों में ही एफआईआर के लिए डीसीपी की मंजूरी की जरूरत

Now DCP approval is needed for FIR only in suspected cases of molestation and POCSO
अब छेड़छाड़ और पाक्सो के संदिग्ध मामलों में ही एफआईआर के लिए डीसीपी की मंजूरी की जरूरत
Mumbai अब छेड़छाड़ और पाक्सो के संदिग्ध मामलों में ही एफआईआर के लिए डीसीपी की मंजूरी की जरूरत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। छेड़छाड़ और पाक्सो के आरोपों में एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) की मंजूरी से जुड़े अपने आदेश में मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडे ने बदलाव किया है। अब पांडे की ओर से पुलिस स्टेशनों और संबंधित अधिकारियों को नया आदेश जारी कर कहा गया है कि छेड़छाड़ और पाक्सो की शिकायत मिलने पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए। हालांकि इसके साथ उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं जिन मामलों में शिकायत को लेकर कोई आशंका हो या पीड़ित और आरोपी के बीच पुराना विवाद हो ऐसे मामलों में डीसीपी की मंजूरी ली जाए क्योंकि कई बार संपत्ति, पैसों के लेन देन और आपसी विवाद में इस तरह के आरोप लगाकर मामले दर्ज करा दिए जाते हैं। इससे पहले जून के पहले सप्ताह में जारी सर्कुलर में कमिश्नर फर्जी मामलों का हवाला देते हुए कहा था कि छेड़छाड़ और पाक्सो के तहत एफआईआर दर्ज करने से पहले डीसीपी की मंजूरी ली जाए। पांडे का कहना था कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जब आपसी रंजिश में लोगों के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। जांच के दौरान साफ होता है कि दर्ज की गई शिकायत झूठी थी। इसके बाद पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 169 के तहत संबंधित व्यक्ति को आरोपमुक्त करने के लिए अर्जी दी जाती है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है और संबंधित व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है। साथ ही उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी धूमिल हो जाती है। लेकिन पांडे के इस आदेश का भारी विरोध शुरू हो गया। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से लेकर बांबे हाईकोर्ट तक ने इस आदेश पर सवाल उठाए। इसके बाद आखिरकार पांडे ने आदेश में बदलाव का फैसला किया।  

Created On :   19 Jun 2022 2:50 PM GMT

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