प्रक्रिया में बड़ा बदलाव- अब पीएचडी के लिए पूरे 6 साल का समय
डिजिटल डेस्क, नागपुर. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने अपनी पीएचडी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। विश्वविद्यालय ने शोध पूरा करने की अवधि 5 वर्ष से बढ़ा कर 6 वर्ष कर दी है। साथ ही विवि ने यह भी स्पष्ट किया है कि 6 वर्ष की अवधि समाप्त होने पर शोधार्थी द्वारा प्राप्त आवेदन के आधार पर उसे 2 वर्ष का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। हालांकि 8 वर्ष से अधिक का समय किसी भी शोधार्थी को नहीं दिया जाएगा। शोध प्रबंध प्रस्तुत करने के लिए कम से कम 3 वर्ष तक शोध करना जरूरी है। विवि ने हाल ही में ऐसी अधिसूचना जारी की है। गौरतलब है कि अब तक विश्वविद्यालय में पीएचडी शोध की अवधि को लेकर बड़ा असमंजस था। कुछ उम्मीदवारों द्वारा हाई कोर्ट की शरण लेने के बाद हाई कोर्ट ने विवि अधिकारियों को फटकार लगाई थी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि विवि के खुद के नियमों में शोधार्थियों को पीएचडी शोधकार्य जमा करने के लिए 6 साल का समय देने का प्रावधान है। इसके बाद अब विवि ने यह बदलाव किया है।
परेशान थे शोधार्थी
दरअसल विवि में कई ऐसे मामले सामने आए, जिसमें 5 साल का समय पूरा कर चुके अनेक शोधार्थियों को अतिरिक्त समय देने से इनकार किया। विवि का तर्क था कि वर्ष 2011 की डायरेक्शन क्रमांक 10 के अनुसार इन शोधार्थियों को 5 साल की अवधि खत्म होने से तीन माह पूर्व विवि में समय बढ़ाने का आवेदन करना चाहिए। जो शोधार्थी तीन महीने पहले आवेदन नहीं करते, उन्हें अतिरिक्त समय हरगिज नहीं दिया जा सकता। लेकिन विवि ने वर्ष 2016 में खुद वर्ष 2011 की डायरेक्शन क्रमांक 10 को रद्द कर दिया था। इसकी जगह नया नियम यह लाया गया था कि पीएचडी करने के लिए शोधार्थियों को कम से कम 3 वर्ष और अधिक से अधिक 6 वर्ष का समय दिया जाएगा। महिलाओं को मातृत्व कारणों से और दिव्यांग जनों को 2 अतिरिक्त वर्ष यानी 8 वर्ष का समय दिया जाएगा। इसका उल्लेख स्वयं वर्ष 2016 की डायरेक्शन क्रमांक 81 और वर्ष 2017 में डायरेक्शन नंबर 17 के संशोधन में किया गया है, लेकिन शोधार्थियों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा था।
Created On :   8 March 2023 3:07 PM IST