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भुजबल के बाद भतीजे समीर की रिहाई, हाईकोर्ट से मिली जमानत
- प्रवर्तन निदेशालय ने समीर को एक फरवरी 2016 को गिरफ्तार किया था।
- बांबे हाईकोर्ट ने मनी लांडरिंग के आरोप में जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता व राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल के भतीजे समीर को जमानत प्रदान कर दी है।
- बुधवार को जस्टिस अजय गड़करी ने समीर को पांच लाख रुपए के मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी छगन भुजबल को जमानत मिल चुकी है।
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मनी लांडरिंग के आरोप में जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता व राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल के भतीजे समीर को जमानत प्रदान कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय ने समीर को एक फरवरी 2016 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में है। बुधवार को जस्टिस अजय गड़करी ने समीर को पांच लाख रुपए के मुचलके पर जमानत देते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी छगन भुजबल को जमानत मिल चुकी है। इसके साथ ही जिन आरोपों के तहत समीर के खिलाफ मामला दर्ज है उसमे अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। आरोपी समीर इस सजा का एक तिहाई हिस्सा जेल में काट चुका है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन आफ मनी लांडरिंग कानून की धारा 45 को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया है। इसलिए समीर को जमानत प्रदान की जाती है।
जस्टिस ने समीर को जमीनत देते समय कहा कि वह अदालत की अनुमति के बिना हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के बाहर न जाए। अपना पासपोर्ट जांच एजेंसी के पास जमा करें। ED के बुलावे पर वे उसके सामने हाजिर हो। जस्टिस गड़करी ने समीर को मामले से जुड़े सबूतों व गवाहों को प्रभावित न करने का भी निर्देश दिया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान ED की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने समीर की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि समीर पर मनीलांडरिंग का गंभीर आरोप है। PMLA कानून के तहत किए जानेवाले अपराध देश की अर्थव्यवस्था व वित्तीय सेहत को प्रभावित करते है। इसलिए आरोपी को जमानत न दी जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपी ने मनी लांडरिंग के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाई थी जिसका वो खुद निदेशक है, इसलिए उसे जमानत नही मिलनी चाहिए। वहीं समीर के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है। प्रकरण को लेकर आरोपपत्र भी दायर हो चुका है। ऐसे में मेरे मुवक्किल को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ED के पास मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, जो उसकी इस मामले में संलिप्तता को दर्शाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने समीर को जमानत प्रदान कर दी।
Created On :   6 Jun 2018 1:57 PM GMT