अब अश्विन नवरात्र पर खुलेगा कोराड़ी महालक्ष्मी मंदिर, पांच माह पूरे होंगे विकास कार्य

Now the Koradi Mahalakshmi Temple will open on Ashwin Navaratra
अब अश्विन नवरात्र पर खुलेगा कोराड़ी महालक्ष्मी मंदिर, पांच माह पूरे होंगे विकास कार्य
अब अश्विन नवरात्र पर खुलेगा कोराड़ी महालक्ष्मी मंदिर, पांच माह पूरे होंगे विकास कार्य

डिजिटल डेस्क, कोराड़ी। महालक्ष्मी जगदंबा कोराड़ी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अब सीधे अश्विन नवरात्र में खुलेगा। मंदिर में विकास कार्यों के लिए मंदिर को 5 माह के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है। भक्तों के दर्शनार्थ म्यूजियम बिल्डिंग में मां की प्रतिमा विराजित होगी। कोराड़ी महालक्ष्मी जगदंबा संस्थान के अध्यक्ष एड. मुकेश शर्मा व सचिव केशवराव फुलझेले ने लिखित विज्ञप्ति में बताया कि कोराड़ी मंदिर को 21 अप्रैल से 23 सितंबर 2018 तक जीर्णोद्धार के चलते भक्तों के दर्शन के लिए बंद किया जाएगा।

इस 5 माह की अवधि में भक्तों के दर्शनार्थ 21 अप्रैल को सुबह 8.30 बजे मां जगदंबा की चांदी की छोटी प्रतिमा को समीपस्थ म्यूजियम बिल्डिंग की पहली मंजिल पर विराजित किया जाएगा। जीर्णाेद्धार के तहत काफी व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। इसमें गर्भगृह, शिखर, कलश, सभामंडप, भैरवबाबा मंदिर, शिव मंदिर आदि के काम किए जाने हैं।

तेजी से होंगे कार्य
इस मंदिर में रोजाना भक्तों की भारी भीड़ रहती है। नवरात्रोत्सव में तो लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर का दायरा कम महसूस हो रहा था, लिहाजा संस्थान के तत्कालीन अध्यक्ष तथा राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे गंभीरता से लेते हुए मंदिर में व्यापक इंतजाम का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। गत कई माह से यहां युद्ध स्तर पर काम जारी है। अश्विन नवरात्रोत्सव के लगभग एक सप्ताह पूर्व व्यापक इंतजामों के साथ मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।  

अलग-अलग अखंड मनोकामना ज्योति की जगह अब महाज्योति
आगामी अश्विन नवरात्र महोत्सव से कोराड़ी मंदिर में अलग-अलग अखंड मनोकामना ज्योति की जगह एक ही महाज्योति प्रज्वलित होगी। यह महाज्योति सालभर मां जगदम्बा के समक्ष निरंतर प्रज्वलित रहेगी। कोराड़ी मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। श्री महालक्ष्मी जगदम्बा संस्थान कोराड़ी के अध्यक्ष एड. मुकेश शर्मा तथा सचिव केशवराव फुलझेले ने लिखित विज्ञप्ति में बताया कि वर्षों से यहां अश्विन नवरात्र महोत्सव पर अलग-अलग मनोकामना ज्योति की परंपरा चलती आ रही है।

दस हजार ज्योति प्रज्वलन का आंकड़ा पार हो गया है। प्रज्वलित ज्योति की देख-रेख के लिए बड़ी संख्या में सेवकों को लगाना पड़ता है। कक्ष में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। इन सभी बातों को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय लिया है।

Created On :   20 April 2018 11:48 AM IST

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