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अब इन जंगलों में रह सकेंगे टूरिस्ट, तैयार हुए होम स्टे, ग्रामीण युवा रहेंगे गाइड

लिमेश कुमार जंगम ,नागपुर। विदर्भ के फारेस्ट रेंज में टूरिस्टों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन परिसर में ही उनके निवास व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सरकारी पहल अब साकार होने लगी है। वैसे तो जंगलों में टूरिस्टों के लिए निर्धारित समय तक ही भ्रमण की अनुमति है, परंतु दूर-दराज से आने वाले टूरिस्टों को असुविधा न होने पाए एवं वन पर्यटन का भरपूर आनंद मिल सके, इसके लिए घने जंगलों व कोर एरिया में मौजूद गांवों में ही सरकारी मदद से ग्रामीणों को प्रेरित कर ‘होम स्टे’ की संकल्पना को साकार किया गया है। अब तक कुल 40 ‘होम स्टे’ बनाए जा चुके हैं, जिनमें से सिर्फ नागपुर जिले में ही 23 ‘होम स्टे’ बनाए गए हैं। शेष वर्धा एवं चंद्रपुर जिले में इसे साकार किया जा चुका है। वहीं 400 से अधिक ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देकर गाइड बनाया गया है।
अन्य योजनाओं पर बल
पूर्व से ही वन, राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य एवं व्याघ्र प्रकल्पों की ओर टूरिस्ट आकर्षित होते रहे हैं। अब निसर्ग पर्यटन की दिशा में सरकार द्वारा गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। जैविक विविधता के संरक्षण को बरकरार रखने के साथ-साथ टूरिस्टों को संबंधित स्थलों पर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विकास एवं रोजगार की योजनाएं तैयार की जा चुकी है। पर्यावरण को क्षति पहुंचाए बिना टूरिस्टों को निसर्ग पर्यटन का आनंद दिलाने के लिए विविध योजनाओं को साकार करने के प्रयास किए जा रहे है।
ऐसा होता है ‘होम स्टे’
वनों में मौजूद गांवों में निवास करने वालों का सादगी भरा जीवन, वहां के घरों की बनावट और ग्रामीण सौंदर्य को बरकरार रखते उन्हीं के निवास स्थान में अतिरिक्त कमरा अथवा परिसर में नया कमरा निर्माण करने की संकल्पना है। इस कमरे की बनावट स्थानीय निवास से अलग नहीं रहेगी। लेकिन स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। साफ-सुथरे कमरे के अलावा शौचालय की सुविधा को अनिवार्य किया गया है। सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
‘होम स्टे’ के निर्माण के लिए जरूरत व चयनित लाभार्थी को सरकार की ओर से आर्थिक मदद का प्रावधान किया गया है। 2 वर्ष पूर्व सरकार द्वारा तैयार की गई संकल्पना को अब जमीनी स्तर पर साकार किया जा चुका है। रामटेक तहसील के पेंच व्याघ्र प्रकल्प में 12, पारशिवनी तहसील के पेंच में 5, उमरेड के करांडला अभयारण्य में 6, सेलू के बोर व्याघ्र प्रकल्प में 4, तिरोड़ा के सितेपार में एक, चंद्रपुर के ताडोबा-मोहर्ली में 13 स्थानों पर ‘होम स्टे’ बनकर तैयार हैं। बड़ी संख्या में टूरिस्ट ‘होम स्टे’ का लाभ उठा रहे हैं।
वन पर्यटन को बढ़ावा
वर्ष 2008 में महाराष्ट्र की निसर्ग पर्यटन नीति घोषित की गई थी, लेकिन पर्यटन क्षेत्र में अच्छे दिन आने के लिए करीब 10 वर्ष का समय बीत गया। अब जाकर संबंधित विभाग की ओर से पर्यटन स्थलों एवं परिसर के विकास को लेकर गंभीरता बरती जा रही है। सरकार ने जहां 320 निसर्ग पर्यटन स्थलों का चयन किया है, वहीं राज्य पर्यटन योजना में कुल 73 परियोजनाओं के लिए 61 करोड़ 48 लाख 77 हजार रुपए के प्रस्ताव को सरकार के समक्ष मंजूरी के लिए पेश किया गया है।
इसके पूर्व सभी परियोजनाओं के लिए 52 करोड़ 40 लाख 25 हजार रुपए की निधि मंजूर की जा चुकी है। इसके अलावा 43 नए पर्यटन स्थलों के लिए 347 करोड़ 82 लाख 64 हजार रुपए के प्रस्ताव का मान्यता दी गई है। कुल मिलाकर करीब 462 करोड़ की निधि से पर्यटन के क्षेत्र में बदलाव लाने का प्रयास जारी है। इससे जहां पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, वहीं रोजगार के भी अवसर उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा है।
स्टेप वाइज होगा 320 स्थलों का विकास
महाराष्ट्र निसर्ग पर्यटन विकास मंडल की ओर से विविध कार्यक्रम क्रियान्वित करते हुए राज्य के 320 निसर्ग पर्यटन स्थलों का चयन किया गया। इनके चरणबद्ध ढंग से विकास के लिए पहले चरण में 320 में से 131 स्थलों के लिए राज्य स्तर पर 113 तथा जिला स्तर पर 18 स्थलों के विकास का प्रारूप तैयार किया गया। सरकारी मंजूरी प्राप्त करने के बाद वन विभाग के राज्य पर्यटन विकास निधि में से तथा जिला नियोजन समिति के माध्यम से निधि उपलब्ध कराई जा रही है।
निसर्ग पर्यटन में वन्य जीवों के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। महाराष्ट्र के 6 व्याघ्र प्रकल्प, 6 राष्ट्रीय उद्यान, 48 अभयारण्य एवं 6 संवर्धन क्षेत्र आरक्षित है। इनमें से ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प एवं संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बनाने की योजना है।
2008 में बनी थी सरकार की नीति
वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने निसर्ग पर्यटन नीति को घोषित किया था। पश्चात पर्यटन व रोजगार के विकास में वनों पर अाधारित ग्रामीणों की उपजीविका का ध्यान रखते हुए विविध अवसर तलाशने तथा निसर्ग शिक्षा का प्रचार करने पर जोर दिया गया। वर्ष 2015 में महाराष्ट्र निसर्ग पर्यटन विकास मंडल की स्थापना की गई। वन मंत्री की अध्यक्षता में एक नियामक मंडल का गठन किया गया।
इसमें विभिन्न सरकारी विभागों के सचिव, आला अफसर, स्थानीय जनप्रतिनिधि, होटल्स, ट्रैवल्स, संगठनों के प्रतिनिधि आदि को शामिल किया गया। प्रधान मुख्य वनसंरक्षक की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति गठित की गई। वन विभाग के अधिकारियों समेत विशेषज्ञ 10 सदस्यों को इसमें शामिल किया गया। सभी के प्रयासों के बाद आखिरकार निसर्ग पर्यटन को एक बेहतर विकल्प के रूप में साकार किया गया।
Created On :   23 April 2018 12:17 PM IST