मप्र के प्रशिक्षक देंगे हाथियों को बाघ के पास जाने के गुर

Now the trainers of Madhya Pradesh will train elephants
मप्र के प्रशिक्षक देंगे हाथियों को बाघ के पास जाने के गुर
मप्र के प्रशिक्षक देंगे हाथियों को बाघ के पास जाने के गुर

कुंदन साहू , नागपुर । बाघ को वैसे तो जंगल का राजा कहा जाता है लेकिन इसकी खौफ वन्यजीव ही नहीं मानव में इतनी रहती है कि सामने ये दिख जाए तो वैसे भी पसीने छूट जाते हैं। जंगल से सटे गांवों में बाघों का आतंक कुछ ज्यादा ही रहता है। कई बार बाघ ऐसे नरभक्षी बन जाते हैं कि हर हाल में उन्हें पकड़ने के लिए फारेस्ट को एड़ी-चोटी लगानी पड़ती है। अभी कुछ माह पहले की ही बात है जब मेलघाट से लाए गए हाथियों के जोड़ों को नरभक्षी बाघिन की खोजबीन में लगाया गया था। लेकिन समस्या यह थी कि बाघ की गंध मिलने पर यह उसके करीब न जाते हुए उससे दूरी बनाने लगती थीं। इससे रेडियो कॉलर की फ्रीक्वेंसी पकड़ने में वन विभाग के खोजी दस्तों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। 
करीब से ट्रेंक्यूलाइज़ करने का सही मौका भी नहीं मिल पा रहा था। मध्यप्रदेश वन विभाग के पास ऐसे प्रशिक्षित हाथियों का बेड़ा है, जो बाघों को देखकर दूरी नहीं बनाते और न ही करीब जाने से हिचकिचाते हैं। उन्हीं हाथियों के प्रशिक्षकों से यहां के हाथियों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई जा रही है। जुलाई में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है। 
फिलहाल  9 हाथियों का बेड़ा : बता दें कि अभी ब्रह्मपुरी की बाघिन को बेहोश करने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन उसमें विभाग को सफलता नहीं मिल पाई थी। फिलहाल विदर्भ क्षेत्र में वन विभाग के पास तकरीबन 9 हाथियों का बेड़ा है। इनके प्रशिक्षित होने के बाद उत्पाती वन्यजीवों बाघ और तेंदुए को काबू करने में सफलता मिलने की गारंटी मिल सकेगी।  इस संदर्भ में वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक  ऋषिकेश रंजन का कहना है कि हमारे यहां के हाथी अक्सर बाघ की गंध पाकर उससे दूर जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के हाथी उनके करीब तक चले जाते हैं। हम भी अपने हाथियों को मध्य प्रदेश वन विभाग से प्रशिक्षित कराएंगे। योजना बनाई जा रही है। 
 

Created On :   15 Dec 2017 4:50 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story