इंजीनियरिंग और एमबीए पाठ्यक्रमों का क्रेज हुआ कम, आर्टस, कामर्स और साइंस के फिर आए अच्छे दिन

Now young generation have more interest in arts , commerce than eng, MBA
इंजीनियरिंग और एमबीए पाठ्यक्रमों का क्रेज हुआ कम, आर्टस, कामर्स और साइंस के फिर आए अच्छे दिन
इंजीनियरिंग और एमबीए पाठ्यक्रमों का क्रेज हुआ कम, आर्टस, कामर्स और साइंस के फिर आए अच्छे दिन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुछ वर्ष पूर्व जिन पाठ्यक्रमों में एडमिशन के लिए होड़ मचती थी अब उन पाठ्यक्रमों का क्रेज कम होता दिख रहा है। मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का सपना संजोने वाले युवा कुछ समय तक इंजीनियरिंग और एमबीए जैसे नौकरी उन्मुख पाठ्यक्रमों को भले ही प्राथमिकता देते हो, मगर बीते कुछ वर्षों से यह धारा आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स के पारंपारिक पाठ्यक्रमों की ओर बढ़ निकली है। यही कारण है कि, नागपुर विभाग में प्रतिवर्ष इंजीनियरिंग और एमबीए जैसे पाठ्यक्रमों का क्रेज और इसकी सीटें लगातार कम होते जा रही हैं। विद्यार्थियों का यह पारंपारिक पाठ्यक्रमों की ओर बढ़ने से इन पाठ्यक्रमों में हर वर्ष 20 प्रतिशत सीटें बढ़ाने की मांग होने लगती है। आंकड़े इस स्थिति की पुष्टि भी करते हैं। 

क्या कहते हैं आंकड़े
एक वक्त पर बीई में प्रवेश लेने के लिए जहां विद्यार्थी एडी-चोटी का जोर लगा देते थे, उसी पाठ्यक्रम की स्थिति कुछ ऐसी है कि, विद्यार्थियों की कमी के कारण कॉलेज लगातार अपने यहां विविध ब्रांच बंद करने लगे हैं। मौजूदा वर्ष 2018-19 में नागपुर विभाग में इंजीनियरिंग की कुल 23, 498 हजार सीटें हैं, मगर चार वर्ष पहले तक (2014-15) में नागपुर विभाग में 26 हजार 80 सीटें थी, यानी पिछले चार वर्षों में ढ़ाई हजार सीटें कम हो गईं। वहीं एमबीए पाठ्यक्रम पर नजर डालें, तो मौजूदा वक्त में 4 हजार 380 सीटें हैं, जबकि वर्ष 2014-15 में नागपुर विभाग के 58 कॉलेजों में 5,550 सीटें उपलब्ध थीं। पिछले चार वषों में 1 हजार 170 सीटें कम हो गई हैं। 

फिर आएगा ट्रेंड
आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले कुछ वर्षों में इंजीनियरिंग की हजारों सीटें खाली रह रही हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्राचार्य दबी जुबान से इसे स्वीकारते भी हैं। इंजीनियरिंग-एमबी कॉलेजों की अधिक संख्या इसकी वजह तो है ही, अब छात्रों का घटता रुझान भी प्रमुख कारण बन गया है। जानकार यह भी उम्मीद करते हैं कि, यह ट्रेंड बदलने में दो से तीन वर्ष का वक्त लगेगा। एक बार फिर इंजीनियरिंग-एमबीए का जमाना आएगा।

बेसिक ग्रेजुएट कोर्स पर जोर  
किसी जमाने में छात्रों के सिर चढ़कर भले ही इंजीनियरिंग और एमबीए का जादू बोल रहा था, पर अब इससे युवा कतराने लगे हैं। उन्हें बेसिक ग्रेजुएट कोर्स में दिलचस्पी है। इसी तर्ज पर वे बेसिक ग्रेजुएट कोर्स को तवज्जो देते हैं। यही कारण है कि, नागपुर विश्वविद्यालय के वर्धा, गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर जिलों में संलग्न कॉलेजों में पारंपारिक पाठ्यक्रमों की सीटें तेजी से बढ़ी हैं।

मौजूदा वक्त में नागपुर विवि के अधीन आर्ट्स की  40,000, वाणिज्य की 30,000, साइंस की  35,000, लॉ की 1,500, गृहविज्ञान की 400, गृहअर्थशास्त्र की 500 सीटें हैं। पिछले चार वर्षों में विद्यार्थियों की बढ़ती डिमांड के चलते हर साल विवि को 20 से 25 कॉलेज नया सेक्शन शुरू करने या मौजूदा प्रवेश क्षमता को 20 प्रतिशत से बढ़ाने के प्रस्ताव भेजते हैं, जिसे मंजूर भी कर लिया जाता है।

Created On :   9 July 2018 7:23 AM GMT

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