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आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं आया पोषण आहार-कैसे दूर होगा कुपोषण
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पूरक पोषण आहार को लेकर बनी समस्या का समाधान अभी भी नहीं हो पाया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार की व्यवस्था पूरी तरह से लडखड़़ा गई है। समूहों के माध्यम से जो पोषण बच्चों को दिया जाता है। सिर्फ वही सप्लाई हो रहा है। जबकि पोष्टिक दलिया सहित अन्य पोषण की सप्लाई पिछले एक महीने से रुकी पड़ी है।
प्रदेश स्तर पर टेंडर प्रक्रिया में चल रही लेटलतीफी का असर आंगनबाडियों में नजर आ रहा है।
जो पूरक पोषण आहार धात्री महिलाओं और कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी के माध्यम से सप्लाई होता है। उसकी डिमांड जाने के बाद भी अप्रेल का स्टॉक शासन ने जिले को नहीं दिया। जो बचा-कुचा पोषण आहार रखा था उससे ही जैसे-तैसे संचालन किया जा रहा है। अधिकारी तो दावा कर रहे हैं। कि कई आंगनबाडियों में पोषण आहार है। जबकि विकासखंड स्तर से आ रही जानकारी में पुराना स्टॉकों हफ्तों पहले ही खत्म हो चुका है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिगड़ी व्यवस्था
पोषण आहार की सप्लाई में रोक लगने से सबसे बदतर स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है। दरअसल, कुपोषित बच्चों का सबसे बड़ा आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में ही है। वहीं ग्रामीण महिलाएं ही आंगनबाडियों का पोष्टिक पोषण लेती है। यहां जो सप्लाई हुई तो वह पहले ही खत्म हो गई। जबकि नई सप्लाई आज तक नहीं की गई।
32 हजार से ज्यादा कुपोषित
जिले में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 32 हजार से ज्यादा है। इसमें अतिकुपोषित 2800 और कुपोषित 2900 के आसपास है। इन्हीं बच्चों को पोष्टिक पोषण देकर कुपोषण मिटाने का प्रयास किया जाता है। जिसके लिए ही पोष्टिक दलिया, खिचड़ी की सप्लाई शासन स्तर से की जाती है।
आदिवासी अंचलों में सबसे ज्यादा शिकायतें
पोषण आहार का स्टॉक खत्म होने की सबसे ज्यादा शिकायतें आदिवासी क्षेत्रों की है। हर्रई, तामिया जैसे आदिवासी अंचल में तो पहले से ही व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है। जबकि यहीं सबसे ज्यादा अतिकुपोषित बच्चों की संख्या है।
इनका कहना है...
हाल ही में आंगनबाडियों का निरीक्षण किया गया था जिसमें कुछ स्टॉक बचा हुआ है। शासन स्तर पर टेंडर प्रक्रिया तो हो चुकी है। एक सप्ताह के अंदर व्यवस्था में पूर्णत: सुधार हो जाएगा।
एमएल मेहरा जिला परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग
Created On :   26 April 2018 7:59 AM GMT