- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- कांग्रेस व NCP के गठबंधन में...
कांग्रेस व NCP के गठबंधन में बाधा,सीटों को लेकर अड़ सकती है बात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में सत्ता परिवर्तन के संकल्प के साथ दोबारा हाथ मिला रही कांग्रेस व एनसीपी के बीच युति की राह उतनी आसान नहीं दिख रही है। मौजूदा हालातों को देखते हुए सीट बंटवारे पर बात अड़ने के आसार नजर आ रहे हैं। विशेषकर विदर्भ में राकांपा को कांग्रेेस किसी भी स्थिति में अधिक सीट देने को राजी नहीं होगी।
अधिक सीटें नहीं देगी कांग्रेस
नगरपरिषद व जिला परिषद के चुनावों में कांग्रेस को मिली सफलता को अाधार बनाते हुए एनसीपी को संभावित गठबंधन में अधिक सीट नहीं देगी। गत दिनों मुंबई में प्रदेश कांग्रेस की बैठक में राकांपा से संभावित गठबंधन की चर्चा प्रमुखता से हुई। उसमें भी विदर्भ में कांग्रेस की स्थिति को चुनाव रणनीति के हिसाब से एनसीपी से काफी बेहतर माना गया। प्रत्येक जिले की राजनीतिक समीक्षा की गई। कहा गया कि एनसीपी के लिए अधिक सीट छोड़ना ठीक नहीं होगा। बैठक में राजेंद्र मुलक, नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार व माणिकराव ठाकरे विदर्भ की विभागवार समीक्षा बैठक में प्रमुखता से शामिल थे। नागपुर जिले की बैठक में विकास ठाकरे, विधायक सुनील केदार, बबनराव तायवाडे, सुरेश भाेयर, अभिजीत सपकाल जैसे पदाधिकारी शामिल थे। शहर व जिले में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति में सुधार पर भी चर्चा हुई। पदाधिकारियों से कहा गया कि विधानसभा क्षेत्र स्तर पर कांग्रेस व एनसीपी के प्रभाव की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की जाए।
वर्ष 2004 के बाद की स्थिति पर प्रमुखता से चर्चा
सूत्र के अनुसार, बैठक में वर्ष 2004 के बाद के चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर प्रमुखता से चर्चा हुई। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अन्य दलों की स्थिति पर भी बातचीत की गई। 1999 में एनसीपी का गठन हुआ। कांग्रेस नेतृत्व के विरोध में शरद पवार ने एनसीपी बनाई थी। उसी वर्ष चुनाव में अलग चुनाव लड़कर एनसीपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और कांग्रेस के साथ सत्ता में शामिल हो गई। उसके बाद लगभग हर चुनाव में कांग्रेस व एनसीपी के बीच गठबंधन तो हुआ, लेकिन सत्ता संघर्ष चलता रहा। 2014 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं हुआ। एनसीपी विदर्भ में केवल 1 सीट जीत पाई। कांग्रेस की स्थिति भी ठीक नहीं रही, लेकिन 10 सीटों पर उसे सफलता मिली। इससे पहले वर्ष 2009 के चुनाव में विदर्भ में 62 में से 48 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था, 24 सीटों पर जीती थी। एनसीपी के लिए 13 सीटें छोड़ी गई थी और वह केवल 4 सीट जीत पाई। उससे पहले वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत कांग्रेस ने 49 सीटों पर चुनाव लड़ा,19 सीटों पर सफल रही। एनसीपी 11 सीटों पर जीती थी। 1999 के चुनाव में 52 सीटों पर चुनाव लड़कर कांग्रेस ने 27 सीटों पर सफलता पाई थी। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि बदली हुई राजनीतिक स्थिति में एनसीपी विदर्भ में एक तरह से साफ हो गई है। नगरपरिषद व जिला परिषद के चुनाव में कई स्थानों पर कांग्रेस ने सत्ता पाई है। नागपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्र की हिंगणा व काटोल सीट पर ही राकांपा को लड़ने का मौका दिया जाता रहा है। इन क्षेत्रों में भी अब कांग्रेस का प्रभाव बढ़ रहा है। इसके अलावा विदर्भ में कुछ ऐसी भी सीट है, जहां कांग्रेस के मुकाबले एनसीपी की स्थिति में सुधार हुआ है। लिहाजा एनसीपी के लिए केवल उसके अनुकूल सीट ही छोड़ने के विषय पर चर्चा हुई।
राजनीतिक स्थिति पर चर्चा
कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय बैठक में लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई। बदली ही स्थिति में कांग्रेस को अधिक से अधिक सीटों पर सफल बनाने की रणनीति पर विमर्श हुआ। प्रदेश में कांग्रेस के प्रति जनता का रुझान बढ़ा है। सरकार से नाराज लोग कांग्रेस से ही बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को और अधिक सक्रियता के साथ जनसंवाद बढ़ाने का काम किया जाएगा।
-राजेंद्र मुलक, पूर्व राज्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता
Created On :   10 April 2018 12:00 PM IST