कागजों में ऑक्यूपेंसी फुल, वीक एंड्स में मंत्री-विधायक गुल

कागजों में ऑक्यूपेंसी फुल, वीक एंड्स में मंत्री-विधायक गुल
कागजों में ऑक्यूपेंसी फुल, वीक एंड्स में मंत्री-विधायक गुल
कागजों में ऑक्यूपेंसी फुल, वीक एंड्स में मंत्री-विधायक गुल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्यारह दिन के सबसे कम अवधि के शीतसत्र के पहले सप्ताह में हर बार की तरह इस बार भी विधायक निवास से लेकर मंत्रियों के ठहरने वाले रविभवन का खास नजारा रहा। सप्ताह के आखिरी कामकाज के दिन शुक्रवार से ही अधिकांश विधायक और मंत्रियों के लौटने का क्रम शुरू हो चुका था, जो शनिवार दोपहर होते पूरी तरह खाली हो गया। दोपहर को तो दोनों ही जगह नजारा ऐसा रहा मानों अधिवेशन समाप्त हो चुका हो। 

मंत्रियों के सारे कॉटेज नजर आए खाली 

रविभवन स्थित मंत्रियों के सारे कॉटेज खाली दिखाई दिए। मात्र ऑफिशियल स्टाॅफ और सुरक्षाकर्मी ही दिखाई दिए। किसी भी कॉटेज में कोई मंत्री नहीं मिले। सभी या तो अपने निर्वाचन क्षेत्र लौट चुके हैं या सैर-सपाटे के लिए बाहर निकल चुके हैं। विधायक निवास की स्थिति भी इसी तरह की है। विधायक निवास के तीनों ब्लाक में ऑक्यूपेंसी (कमरों का अधिग्रहण) तो फुल दर्शाता रहा, लेकिन विधायक, पीए सभी न के बराबर ही मिले।

फुर्सत के पलों को भुनाने का बेहतर मौका

सप्ताह के अंत में भले ही ज्यादातर नेता नजर नहीं आए, हालांकि विधायक निवास में अधिकांश तौर पर विधायकों के बजाय उनका निजी स्टाफ रुकता है। सूत्र बताते हैं कि न केवल मंत्री और विधायक ही नदारद हैं बल्कि उनका निजी स्टाॅफ भी उनके साथ बाहर है। विभाग के कार्यरत आलाधिकारियों ने फुर्सत के पलों को भुनाने का बेहतर मौका खोज निकाला। 

पंडालों की स्थिति

उधर, मॉरिस कॉलेज मैदान पर बीते 4 दिन से संगठनों की ओर से धरना आंदोलन और अनशन किए जा रहे हैं। लगातार गूंजने वाली आवाजें शाम ढलते ही शांत हो जाती हैं। आंदोलनकारियों की सुविधा के लिए प्रशासन की ओर से उचित इंतजाम नहीं किए जाने के कारण रात के समय अधिकतर पंडाल वीरान पड़ जाते हैं। न तो यहां किसी संगठन का नेता रहता है और न ही कार्यकर्ताओं का हुजुम। अव्यवस्थाओं के चलते यहां रात बिताना मुश्किल है।

कहर बन रही ठंड

शुक्रवार की रात करीब 10 बजे इन विविध पंडालों का जायजा लिया गया तो अनेक समस्याएं दिखाई पड़ीं। करीब 50 पंडालों में से 5 से 6 पंडालों में आंदोलनकर्ता सोते हुए नजर आए। ठंड के कारण बिछाई गई गादियों को ही उन्होंने ओढ़ लिया था। अलाव केवल पुलिस के अस्थाई तंबू के पास जल रहा था। अलाव के इर्द-गिर्द कुर्सियां लगाकर पुलिस जवान बैठे दिखे।

पंडालों में बिजली उपलब्ध नहीं

धरना एवं अनशन आंदोलन के लिए महाराष्ट्र के दूर-दराज से आने वाले आंदोलनकर्ताओं की सुविधा के लिए पंडालों में बिजली उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। जिसके कारण मैदान में मौजूद हैलोजन की रोशनी में ही बैठकर वे अपनी रात गुजारने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में नाले से सटे इस खुले मैदान में विचरण करने वाले किसी विषैले जीव-जंतुओं से जान का खतरा बना रहता है। खौफ के कारण आंदोलनकर्ताओं को नींद नहीं आता। इससे बचने के लिए आंदोलनकर्ता रात के समय अपना पंडाल छोड़ने के लिए मजबूर हैं। वहीं मोबाइल चार्जिंग व अन्य प्रकार की समस्याओं का उन्हें सामना करना पड़ रहा है।ॉ

पेयजल स्थल पर कीचड़

पेयजल के लिए प्रशासन ने यहां 3 ड्रम उपलब्ध कराए हैं, लेकिन इसमें से पानी निकालने व भरने की प्रक्रिया में काफी पानी नीचे गिरकर बहने लगता है। इससे परिसर कीचड़ हो गया है। आंदोलनकर्ताओं को मजबूरन पानी की कैन खरीदना पड़ रहा है।
 

 

Created On :   17 Dec 2017 2:39 PM IST

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