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स्टूडेंट्स पर नहीं ध्यान, अधिकारी खुद की गुणवत्ता बढ़ाने व्यस्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की जिम्मेदारी जिला शैक्षणिक निरंतर व्यावसायिक संस्था और प्रादेशिक विद्या प्राधिकारण के कंधों पर सौंपी गई है। विद्यार्थियों की गुणवत्ता के परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं, जबकि इन संस्थाओं में कार्यरत अधिकारी अपनी ही गुणवत्ता बढ़ाने में व्यस्त हैं।
विद्यार्थियों की गुणवत्ता बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई दोनों संस्थाएं राज्य सरकार के अधिनस्थ हैं। इन संस्थाओं में प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिव्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है। जिला परिषद स्कूलों में विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की दृष्टि से स्कूलों को भेंट देना, विद्यार्थी और शिक्षकों का मार्गदर्शन करना अपेक्षित है। जिप के 1538 स्कूलों में 80 हजार से अधिक विद्यार्थी हैं, परंतु इन संस्थाओं द्वारा जिम्मेदारी नहीं निभाए जाने से शैक्षणिक गुणवत्ता हाशिए पर है। गुणवत्ता में सुधार नहीं होने से जिला परिषद स्कूलों में विद्यार्थी संख्या तेजी से घट रही है। आलम यह है कि, गुणवत्ता विकास की जिम्मेदारी संभाल रहे दोनों िवभागों ने अपना कार्यक्षेत्र कार्यालय तक सीमित कर रखा है।
शिक्षा सचिव नाराज
हाल ही में शिक्षण सचिव नंदकुमार एक कार्यशाला में नागपुर आए थे। उन्होंने इन संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रहे विभागों की अपने काम में रूचि नहीं है। विद्यार्थियों की गुणवत्ता को नजरअंदाज कर अपनी गुणवत्ता बढ़ाने में अधिक रुचि रहने से पी.एचडी कर रहे हैं। डॉक्टर बनकर भी उनके ज्ञान का ग्रामीण विद्यार्थियों को लाभ नहीं होने का दु:ख है।
अंग्रेजी में विद्यार्थी कमजोर
अंग्रेजी में कमजोर विद्यार्थियों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक शिक्षक जिला समन्वयक नियुक्त किया गया है, परंतु एक शिक्षक पर संपूर्ण जिले का बोझ पड़ने से सभी स्कूलों को समय दे पाना मुश्किल है। नतीजा ग्रामीण स्कूलों में अंग्रेजी की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पाया। यही वजह है कि, जिप स्कूलों की विद्यार्थी संख्या तेजी से घटकर अंग्रेजी स्कूलों की ओर रूझान बढ़ रहा है।
Created On :   22 April 2019 1:56 PM IST