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600 रुपए में गुजारा करने को मजबूर हैं बुजुर्ग, 2 लाख 24 हजार से अधिक है संख्या

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महंगाई के इस दौर में जहां हर चीज महंगी हो चली है वहीं 600 रुपए में पूरा महीना गुजारना बेसहारा बुजुर्गों की मजबूरी बन गया है। सिकुड़ते और विभक्त परिवारों के कारण उम्रदराज लोगों को अपने जीवन के अंतिम दिनों में स्वास्थ्य व आर्थिक समस्याओं से अधिक जूझना पड़ता है। गरीबी जहां शाप बनकर डसती है, वहीं बुढ़ापा पाई-पाई के लिए मोहताज कर देती है। संतानें खुद की जरूरतों की पूर्ति के लिए संघर्षरत होते हैं। ऐसे में इन बुजुर्गों के रोजमर्रा के खर्च भी वे पूर्ण नहीं कर पाते। नतीजतन, इन्हें सरकार की बेसहारा सूची में अपना नाम दर्ज कराने की लड़ाई लड़नी पड़ती है।
इसके बाद महज 600 रुपए प्रति माह पाने के लिए प्रतीक्षारत रहना पड़ता है। ऐसे बुजुर्गों की संख्या जिले में 2 लाख 24 हजार 986 से अधिक है। जिला प्रशासन की ओर से हर साल इन बुजुर्गों को करीब 126 करोड़ रुपए की मदद की जा रही है। बढ़ती महंगाई में 600 रुपए में गुजारा करना मुश्किल है, परंतु बेसहारों के लिए यह न्यूनतम राशि उनके जीवन काल के अंतिम दिनों में किसी संजीवनी से कम नहीं है।
बिन लाभ की योजनाएं
सरकार के राजस्व विभाग की ओर से गरीब व बुजुर्गों के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इन योजनाओं से मिलने वाली अनुदान राशि बेहद कम होने से यह लाभ नाममात्र है। 600 रुपए अनुदान में किसी भी बुजुर्ग का गुजारा नहीं होता। फिर भी सरकार की ओर से इन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में हर वर्ष इस प्रकार अनुदान राशि दी जाती है।
- संजय गांधी निराधार योजना के तहत 66608 लाभार्थियों में 5236.66 लाख रुपए अनुदान वितरित किए जाते हैं।
- श्रावण बाल सेवा योजना के अंतर्गत 107649 लाभार्थियों में 6112.23 लाख रुपए वितरित किए जाते हैं।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धापकाल योजना के तहत 49851 लाभार्थियों को 1113.7 लाख अनुदान दिया जाता है।
- राष्ट्रीय कुटुंब लाभ योजना के अंतर्गत 878 लाभार्थियों को 171.4 लाख का अनुदान दिया जाता है।
बीपीएल बुजुर्गों की स्थिति चिंताजनक
महाराष्ट्र सरकार की ओर से बुजुर्गों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार द्वारा आर्थिक अनुदान देने वाली योजनाओं को निरंतर जारी रखा गया है। हालांकि सरकार के यह प्रयास नाकाफी हैं। खासकर गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बुजुर्गों की स्थिति बेहद चिंताजनक है।
जिले के करीब ढाई लाख बुजुर्ग सरकारी अनुदान पर ही जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। जिले में मौजूदा स्थिति में ग्रामीण क्षेत्र में 1.33 लाख और शहरी क्षेत्र में 1.22 लाख ऐसे परिवार हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। जबकि कुल परिवारों की संख्या 10 लाख 41 हजार 544 बताई जाती हैं।
आमतौर पर बुजुर्गों की दयनीय स्थिति इन्हीं गरीब परिवारों में अधिक देखने को मिलती है, जबकि धनिक परिवारों के बुजुर्गों को यदि विभक्त भी रहना पड़े तो उनके पास जीवन-यापन करने लायक जमा पूंजी होती है। यदि जमा पूंजी न भी हो तो उनके परिजन विभक्त होने की स्थिति में वे किसी न किसी वृद्धाश्रम में दाखिल होकर गुजारे व स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए सुरक्षित मार्ग चुन लेते हैं।
बीपीएल धारकों को ये भी सुविधा
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गंभीर व बहु नि:शक्त व्यक्तियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन योजना शुरू की। इसमें 79 वर्ष आयु तक के व्यक्ति को सहायता प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की ओर से 300 तथा राज्य सरकार की ओर से 200 रुपए के हिसाब से लाभार्थी को प्रति माह 500 रुपए की मदद दी जाती है।
Created On :   3 Sept 2018 11:33 AM IST