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एक गांव एक फसल: बन रही किसानों की नई पहचान

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। दो दशक पहले छिंदवाड़ा के किसानों ने सोयाबीन का रिकार्ड रकबा और सर्वाधिक उत्पादन लेकर प्रदेश में अव्वल स्थान हासिल किया। बीते सालों में किसानों ने मक्का का रकबा बढ़ाने के साथ बेहतरीन उपज लेकर कार्न सिटी के रूप में पहचान स्थापित की। बहुफसलीय संस्कृति वाले जिले के किसानों ने अब एक गांव एक फसल की परंपरा स्थापित कर खेती के नए आयाम स्थापित किए हैं।
उमरेठ तहसील के रिधोरा का आलू कोलकाता में, बीचकवाड़ा का स्वीट कार्न हैदराबाद में तो पांढुर्ना के हिवरासेनाडवार की गोभी प्रदेश के कई महानगरों में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। इस परंपरा से न केवल इन गांवों की अलग पहचान बन गई है बल्कि किसानों की आमदनी में जबरदस्त इजाफा हुआ है। रिधोरा, बीजकवाड़ा या हिवरासेनाडवार ही नहीं जिले के अन्य कई गांव ऐसे हंै जिनकी पहचान वहां की उपज के कारण बन गई है। मोहखेड़ के चारगांव कर्बल का शकरकंद बनारस सहित उत्तरभारत के महानगरों में तो भुताई का टमाटर महाराष्ट्र में चर्चित है। उमरेठ के राखीढाना-कचराम का तरबूज-खरबूज उत्तर भारत के महानगरों के साथ नेपाल तक ख्यातिप्राप्त है। छिंदवाड़ा तहसील के झिरलिंगा, झंडा, कुदवारी, गंगई, रोहनाखुर्द गांव के किसान गर्मी के सीजन में हर दिन आठ से दस ट्रक कद्दू प्रदेश के बाहर भेजते हैं।
रिधोरा के आलू की चिप्स
उमरेठ तहसील की रिधोरा पंचायत में लगभग डेढ़ सौ किसान आलू की खेती कर रहे हैं। यहां लगभग 150 हेक्टेयर में अनुबंधित खेती की जा रही है। किसान श्यामलाल गोंडूजी पवार ने 45 एकड़ और जयपाल ढोंढूृ पवार के 48 एकड़ खेत में आलू लगाया है। आलू की फसल 75 से 80 दिनों में मिल जाती है। एक निजी कंपनी यह आलू खरीदकर चिप्स बनाने के लिए कोलकाता भेजती है। सीजन में इस गांव से हर दिन आठ से दस ट्रक आलू निर्यात होता है।
स्वीट कार्न की मिठास चर्चित
उमरेठ तहसील के बीजकवाड़ा गांव में हर साल लगभग 90 हेक्टेयर में स्वीट कॉर्न की खेती होती है। यहां का स्वीट कॉर्न हैदराबाद सहित दक्षिण भारत के महानगरों में भेजा जाता है। किसान गुरूप्रसाद पवार 65 एकड़ खेत में स्वीट कार्न लगाते हैं। उन्होंने बताया कि इस सीजन में वे लगभग 70 एकड़ में स्वीट कार्न लगाएंगे। महज 60 से 70 दिनों में स्वीटकार्न की फसल से प्रति एकड़ लगभग 20 से 25 हजार रुपए का मुनाफा आसानी से हो जाता है।
गोभी का केन्द्र बना हिवरा सेनाडवार
पांढुर्ना तहसील मुख्यालय से 20 किमी दूर ग्राम हिवरा सेनाडवार फूलगोभी उत्पादन के लिए ख्यातिप्राप्त है। यहां बारिश में लगभग दो सौ हेक्टेयर तो पूसी और माघी सीजन में भी लगभग दो सौ हेक्टेयर में गोभी की खेती होती है। बरसात के सीजन में यहां दस से बारह ट्रक गोभी निकलती है जबकि तीन से चार ट्रक गोभी निकल रही है। गांव के किसान वासुदेव टोपले, राजेन्द्र टोपले, किशोर किनकर, प्रशांत कालभूत, सुरेश कालभूत सहित कई किसान गोभी की फसल ले रहे हंै।
ये होता है लाभ
एक फसल की खेती करने वाले किसानों को बीज थोक दर पर मिल जाता है।
थोक व्यापारी खेतों में आकर ही फसल की खरीदी कर लेते हैं। कई बार स्थानीय मंडी से ज्यादा दाम खेत में ही मिल जाते हैं।
किसान अपने अनुभवों का साझा कर कई समस्याओं का निदान अपने स्तर पर ही कर लेते हैं।
फसलों की निगरानी करना किसानों के लिए आसान हो जात है।
कम अवधि की फसलों के कारण साल में तीन फसल उगाने का अवसर मिलता है।
Created On :   30 Jan 2022 10:31 PM IST