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शुल्कमुक्त 'ब्लड ऑन कॉल' सेवा में निजी अस्पताल नहीं दिखा रहे दिलचस्पी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार द्वारा गरीबों को मुफ्त में ब्लड उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई "ब्लड ऑन काल" सेवा निजी अस्पतालों को रास नहीं आ रही है। शहर (मनपा सीमा) में 650 निजी अस्पताल हैं आैर केवल 121 अस्पताल ही इस सेवा का हिस्सा बने हैं, जबकि इस सेवा में शामिल होने के लिए निजी अस्पतालों को किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता।
योजना पर नजर रखते हैं अधिकारी
राज्य रक्त संक्रमण परिषद ने गरीबों व जरूरतमंदों के लिए ब्लड उपलब्ध कराने की सेवा 1 जनवरी 2013 में शुरू की। ब्लड की कालाबाजारी व ऊंचे दाम पर बेचने की शिकायतें लगातार सरकार को मिलती रहती हैं। निजी अस्पतालों द्वारा जिस ऊंचे दाम पर ब्लड उपलब्ध कराया जाता है, वह आम आदमी की पहुंच में नहीं है। गरीब रोगी को मुफ्त में व जिनके पास बीपीएल कार्ड या ब्लड डोनर (सरकारी अस्पताल का) कार्ड नहीं है, उन्हें 850 रुपए में ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। राज्य सरकार ने इसके लिए हर जिले में ब्लड बैंक अधिकृत करने के साथ ही पूरी योजना पर नजर रखने के लिए हर जिले में एक-एक ब्लड ट्रांसफ्यूजन आफिसर (BTO) नियुक्त किया है। राज्य रक्त संक्रमण परिषद निजी अस्पतालों को इस सेवा से जोड़ने के लिए समय-समय योजना का प्रसार व प्रचार करती रहती है।
प्रक्रिया बेहद आसान
शहर में 650 अस्पताल रजिस्टर्ड हैं। 2013 से शुरू हुई इस योजना में अभी तक केवल 121 अस्पताल ही जुड़ सके हैं। आपको बता दें कि ब्लड आन कॉल सेवा से जुड़ने की प्रक्रिया बेहद आसान है। एक प्रिंटेट फार्म पर अस्पताल की जानकारी भरी जाती है। इस फार्म पर अस्पताल के संचालक का हस्ताक्षर लिया जाता है। इतना करते ही संबंधित अस्पताल में भर्ती होनेवाला रोगी इस सेवा का लाभ ले सकता है।
लगते रहे हैं ऐसे आरोप
शहर में कुकरमुत्तों की तरह ब्लड बैंक खुली हुई हैं। सभी का दावा है कि उनका मकसद समय पर ब्लड उपलब्ध कराकर रोगी की जान बचाना है। एक बैग ब्लड 16 सौ से 3 हजार रुपए में मिलता है। कई ब्लड बैंकों पर अस्पतालों से जुड़े होने और कमीशन लेने के आरोप लगते रहे हैं। हर ब्लड बैंक के अलग-अलग रेट होते हैं।
Created On :   1 April 2018 3:32 PM IST