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6 जिलों से महज 4 कॉलेजों को मिली है NOC, बीएड-बीपीएड कॉलेजों का चल रहा है बुरा दौर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कड़े नियम बीएड, बीपीएड कॉलेजों के लिए आफत लेकर आए हैं। कथित तौर पर अपात्र समितियों के निरीक्षण के कारण नागपुर विभाग के शिक्षा महाविद्यालय इन दिनों अपने बुरे दौर से गुजर रहे है। बता दें कि भास्कर हिन्दी डॉट काम ने इस विषय पर प्रकाश डाला था। अब चौकाने वाली यह बात भी सामने आ रही है कि यह बुरी स्थिति केवल राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी की ही नहीं, बल्कि गड़चिरोली के गोंडवाना यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध बीएड, बीपीएड कॉलेजों की भी है। बीते दिनों उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित समितियों ने शिक्षा महाविद्यालयों का निरीक्षण किया था। जानकारी के अनुसार, समितियों की सिफारिश के आधार पर नागपुर विभाग के छ: जिलों (नागपुर, वर्धा, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर और गड़चिरोली) के महज 4 महाविद्यालयों को उच्च शिक्षा विभाग ने एनओसी दी है। शेष महाविद्यालयों की एनओसी लटका कर रखी गई है। अखिल महाराष्ट्र बिना अनुदान शिक्षा व शारीरिक शिक्षा महाविद्यलालय सेवा मंडल के अनुसार, विभाग ने नागपुर यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध 3 महाविद्यालयों और गोंडवाना यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध महज 1 कालेज को एनओसी दी गई है। संगठन का यह भी दावा है कि इन कॉलेजों को किस आधार पर एनओसी दी गई, यह समझ के बाहर है, क्योंकि शेष कॉलेजों की ही तरह इन कॉलेजों में भी कई सुविधाओं का अभाव है। संगठन ने नई समितियों का गठन करके शिक्षा महाविद्यालयों का दोबारा निरीक्षण की मांग उठाई है।
समितियों के अपात्र होने का आरोप
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा महाविद्यालयों के निरीक्षण के लिए समितियां गठित की गई थी। समितियों को एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के अनुरूप महाविद्यालयों में सुविधाओं की जांच करना था। समितियों में नागपुर की शासकीय विज्ञान संस्था, स्व.वसंतराव नाईक शासकीय समाजविज्ञान संस्था और भंडारा के शासकीय अध्यापक महाविद्यालय के शिक्षकों को शामिल किया गया था। संगठन का दावा है कि इसमें 5-6 शिक्षकों को छोड़ कर कोई भी शिक्षक बी.एड,एम.एड या शिक्षाशास्त्र में पीएचडी नहीं था। शिक्षा शाखा के बोर्ड ऑफ स्टडीज में कोई प्राध्यापक न होने से नियमावली का भी अता-पता नहीं है। इन समितियों ने जो जांच की उन्होंने महाविद्यालयों में कमियों का उल्लेख न करते हुए नकारात्मक पत्र भेजे। महाराष्ट्र में नागपुर विभाग के अलावा कहीं भी काॅलेजों को इस तरह के नकारात्मक पत्र देकर एनओसी नहीं रोकी गई। संगठन का यह भ दावा है कि कुछ महाविद्यालय, जहां शारीरिक शिक्षा व फाइन आर्ट्स के शिक्षक नहीं थे, उन्हें बेझिझक एनओसी दी गई। ऐसे में संगठन ने अपील की है कि नई समितियों से जांच कराकर महाविद्यालयों को एनओसी प्रदान की जाए।
Created On :   2 April 2018 12:58 PM IST