एक वर्ष में मात्र 7 प्रतिशत लाभार्थियों को ही मिला कार्ड

Only 7 percent of the beneficiaries got the card in a year
एक वर्ष में मात्र 7 प्रतिशत लाभार्थियों को ही मिला कार्ड
एक वर्ष में मात्र 7 प्रतिशत लाभार्थियों को ही मिला कार्ड

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश का कोई भी नागरिक आर्थिक तंगी के चलते उपचार से वंचित नहीं रह जाए, इसलिए केंद्र सरकार ने आयुष्यमान भारत योजना शुरू की है। इस योजना में 5 लाख रुपए उपचार के लिए दिए जाते हैं। नागपुर जिले में इस योजना के पात्र 9 लाख, 20 हजार 949 लाभार्थी हैं। प्रत्यक्ष लाभ उन्हीं को मिलता है, जिनके पास योजना का गोल्डन कार्ड है। योजना शुरू होकर एक वर्ष में िसर्फ 70 हजार लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड का वितरण हो पाया है। यानी योजना के लिए पात्र लाभार्थियों में से सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों को ही गोल्डन कार्ड मिला है। योजना के िलए पात्र रहकर भी 93 प्रतिशत लाभार्थी सरकारी लेटलतीफी के चलते योजना से वंचित हैं।

महाराष्ट्र में 23 सितंबर 2018 से शुरुआत

आयुष्यमान भारत योजना केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी प्रकल्प है। देश के अलग-अलग राज्यों में एक के बाद एक सभी राज्यों में योजना शुरू हुई। महाराष्ट्र में 23 सितंबर 2018 से योजना पर प्रत्यक्ष अमल शुरू हुआ। राज्य में 83 लाख 72 हजार परिवारों इस योजना के पात्र होने का सरकार का दावा है। नागपुर जिले में 9 लाख 20 हजार 949 परिवार पात्र हैं। योजना शुरू हुए एक वर्ष होने जा रहा है। अब तक 70 हजार 124 लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड का िवतरण िकया गया है। 

योजना के पात्रता का आधार

वर्ष 2011 में देश में सामाजिक, आर्थिक तथा जातिनिहाय जनजगणना हुई थी। इसमें से आर्थिक रूप से कमजोर 9 लाख 20 हजार 949 परिवारों का आयुष्यमान भारत योजना के लिए चयन किया गया। पात्र लाभार्थियों की शासकीय स्तर पर सूची जारी तैयार की गई। जिनका नाम इस सूची में है, वही इस योजना के लिए पात्र हैं। 

सूची ऑनलाइन उपलब्ध

इस योजना के लिए पात्र ठहराए गए लाभार्थियों की सूची कॉमन सर्विस सेंटर तथा ग्राम पंचायतों में डाट एंट्री ऑपरेटरों के पास ऑनलाइन देखी जा सकती है। आपले सरकार सेवा केंद्र अथवा ग्राम पंचायतों में डाटा एंट्री ऑपरेटर के पास ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद सिल्वर कार्ड दिया जाता है। रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड तथा लाभार्थी को प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर से जारी किया गया पत्र संलग्न करना अनिवार्य है। इसके बाद सिल्वर कार्ड मिलता है। इसे स्वास्थ्य विभाग के पास भेजने पर दस्तावेजों की जांच के बाद गोल्डन कार्ड दिया जाता है।

सिल्वर कार्ड मिलकर भी लाभ से वंचित

73 हजार 387 पात्र लाभार्थियों को सिल्वर कार्ड मिले हैं। सिल्वर कार्ड मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग लाभार्थियों के दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करता है। इसमें शर्तों पर खरा उतरने के बाद गोल्डन कार्ड दिया जाता है। गोल्डन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया काफी लचीली रहने से रहने से सिल्वर कार्ड मिलकर भी पात्र लाभार्थी लाभ से वंचित हैं। तहसील स्तर पर होगी दस्तावेजों की पड़ताल : गोल्डन कार्ड जारी करने के लिए सिल्वर कार्ड के साथ दस्तावेज मुंबई स्थित स्वास्थ्य संचालनालय भेजे जाते थे। इस प्रक्रिया में लेटलतीफी के चलते अब जिला स्वास्थ्य अधिकारी के अधिनस्त तहसील स्तर पर 15 सदस्यों की टीम गठित की गई है। यह कमेटी दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड का वितरण करेगी। 

सरकारी अस्पतालों तक लाभ सीमित 

आयुष्यमान भारत योजना का लाभ फिलहाल सरकारी अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेजों में सीमित रखा गया है। भविष्य में महात्मा फुले जीवनदायी स्वास्थ्य योजना की तर्ज पर भविष्य में निजी अस्पतालों में भी इस योजना का लाभ देने का प्रस्ताव विचाराधीन बताया जाता है। 8 लाख 50825 लाभार्थी याेजना से दूर : योजना का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया गया। इस योजना से गरीबों को उपचार मिलने की उम्मीद जगी। योजना शुरू होकर एक वर्ष बीत गया, फिर भी जिले के 8 लाख 50 हजार 825 पात्र लाभार्थी योजना योजना से दूर है। इसमें से 7 लाख 77 हजार 438 लाभार्थियों ने तो सिल्वर कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया है। प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर का पत्र नहीं मिलने से अधिकांश लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाने की जानकारी मिली है।
 

Created On :   5 Aug 2019 3:22 PM IST

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