पिछले पांच साल में 15 कैदी हुए रिहा, नई राह दिखा रही ओपन जेल

Open jail is new hope for prisoners wants to come in main stream
पिछले पांच साल में 15 कैदी हुए रिहा, नई राह दिखा रही ओपन जेल
पिछले पांच साल में 15 कैदी हुए रिहा, नई राह दिखा रही ओपन जेल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नीरज दुबे। सामान्य तौर पर हत्या व अन्य अपराधों में आजन्म कारावास की सजा पाने वाले कैदियों को सेन्ट्रल जेल भेजा जाता है। सुरक्षा और सुधार की नई उम्मीदों की संभावना को देखते हुए सजायाफ्ता कैदियों को अलग-अलग जेलों में ट्रांसफर भी किया जाता है। पांच साल पहले तक नागपुर समेत मध्य परिक्षेत्र की जेलों में ओपन जेल की सुविधा नहीं थी। साल 2012-13 में जेल महानिदेशक के रूप में राज्य की अपर पुलिस महासंचालक मीरा बोरवणकर ने पदभार संभाला था। इस दौरान कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए मीरा बोरवणकर ने प्रयास आरंभ किए। नागपुर जेल में भेंट के दौरान कृषि भूमि और संसाधनों की बहुतायत को देखते हुए जेल परिसर में मुक्त कारागृह (ओपन जेल) प्रयोग शुरू हुआ। राज्य सरकार और प्रशासन से मैराथन बैठकों और प्रेजेन्टेशन के बाद राज्य भर की जेलों में सुधार योजना के लिए अनुमति हासिल की। आखिरकार 4 दिसंबर 2013 को नागपुर कारागृह में 50 कैदियों की क्षमता वाली ओपन जेल शुरू हुई। मीरा बोरवणकर के प्रयासों की बदौलत ही नागपुर के अलावा अमरावती, कोल्हापुर, अकोला (महिला) नाशिक, औरंगाबाद, अहमदनगर की विसापुर में भी ओपन जेल अस्तित्व में आई। पुरुष कैदियों के लिए खेती में काम की संभावनाओं के साथ ही हस्तकरघा व अन्य कारीगरी के लिहाज से अकोला और पुणे की येरवडा जेल में महिला कैदियों के लिए भी ओपन जेल शुरू हुई।

कैदियों को पुर्नवास का नया अवसर देने का माध्यम

ओपन जेल आजीवन कारावास के कैदियों को पुर्नवास का नया अवसर देने का माध्यम बन चुकी है। परिस्थितियों अथवा अन्य कारणों के चलते हत्या जैसे अपराध को अंजाम देने वाले कैदियों को खुद में बदलाव लाने के लिए दिशा मिलती है। हालांकि ओपन जेल में भेजे जाने वाले कैदियों के लिए मानदंड भी निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत देशद्रोह, बम विस्फोट, कुकर्म, डकैती के अपराधियों के अलावा आदतन अपराधियों को ओपन जेल में नहीं भेजा जाता। इतना ही नहीं जेल में सजायाफ्ता होने के साथ ही किसी अन्य मामले के आरोपी और कारागृह में आंतरिक सजा के दोषी को भी ओपन जेल का मौका नहीं दिया जाता है। खुद के अपराध पर पश्चाताप कर नए सिरे से समाज में शामिल होने का प्रयास करने वाले कैदी का ही चयन किया जाता है। चयनित कैदी के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने के साथ अच्छे व्यवहार को ही अनिवार्य रूप से शर्त माना जाता है। ओपन जेल में चयन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कैदी को अपनी सजा की एक चौथाई अवधि को भी बंद जेल में पूरा करना होता है। 

पुनर्वास के लिए संचित अवकाश 

कैदियों को समाज से जोड़कर नई सिरे से पुनर्वास के लिए संचित अवकाश (फार्लो) का प्रावधान किया गया है। संचित अवकाश के लिए कैदी का जेल में अच्छा व्यवहार होना चाहिए। कैदी के आचरण एवं प्रवृत्ति में बदलाव के लिए प्रतिवर्ष 28 दिन का संचित अवकाश जेल महानिदेशक देते हैं। सामान्य जेल के कैदी को प्रतिमाह 7 दिन के अनुपात में 84 दिन और अच्छे आचरण के लिए सालाना 30 दिन समेत 114 दिनों का संचित अवकाश मिलता है, जबकि ओपन जेल में कैदी को सालभर गुजारने पर करीब 13 माह की फार्लो मिलती है। पिछले पांच सालों में ओपन जेल के माध्यम से अब तक 15 कैदी रिहा हो चुके हैं, इनमें से किसी भी कैदी को दोबारा अपराधों में जेल प्रशासन ने लिप्त नहीं पाया है। 


 

Created On :   18 March 2018 8:46 AM GMT

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