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क्राउड फंडिंग से जुटाई ऑपरेशन की रकम , द. अफ्रीका से भी पहुँची मदद, अपनी किडनी देकर बचाया सुहाग
डिजिटल डेस्क जबलपुर । लाखों-करोड़ों महिलाओं की तप साधना का आज व्रत है.. तीज। लेकिन ग्वारीघाट निवासी आरती पटेल ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए अलग ही साधना की। गोद में 2 साल का बेटा और पति जिंदगी-मौत के मुँहाने पर..! दरअसल, उसके पति की दोनों किडनियाँ खराब हो चुकी थीं और ट्रांसप्लांट के सिवा कोई रास्ता नहीं था। ऐसे में आरती ने अपनी कमजोरी को ताकत बनाई, वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर किए और ऑपरेशन के लिए जरूरी रकम जुटाई। एक किडनी देकर अपना सुहाग बचाने में वो कामयाब रही। शादी के चंद समय बाद ही आरती पटेल को मालूम चला कि उनके पति दीपक की दोनों किडनियाँ 50 फीसदी ही काम रही हैं। आरती ने तय किया वह अपने पति को किडनी देगी, संयोग से यह संभव था, लेकिन परिवार ऑपरेशन के खर्च को उठाने में सक्षम नहीं था। कोरोना काल ने पहले ही पति की नौकरी छीन ली, परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी बेरोजगार हो गए। आरती लोगों के कपड़े प्रेस कर बमुश्किल घर खर्च चला रही थी। ऐसे में पति की जिंदगी बचाने की चुनौती सामने आ खड़ी थी। इसके बाद जो हुआ उस पर यकीन कर पाना मुश्किल है। आरती ने यूट्यूब पर वीडियोज बनाना शुरू किया और करीब 6 माह में 9 लाख रुपये जुटा लिए। उन्होंने अपनी इस जर्नी को दैनिक भास्कर से शेयर किया।
फरवरी में बनाया पहला वीडियो
आरती ने बीएससी द्वितीय वर्ष तक पढ़ाई की थी, लेकिन शादी हो जाने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। शिक्षित होने के चलते उसे सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा था, लेकिन इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए इसे लेकर वह असमंजस में थी। एक दिन यूट्यूब पर एक वीडियो देखने के बाद उसे लगा कि वह भी यूट्यूब चैनल बनाकर, लोगों से जुड़ सकती है। लोगों को अपनी परेशानी बता सकती है, मदद माँग सकती है। इसके बाद आरती ने इसी साल फरवरी में यूट्यूब पर अपना पहला वी-लॉग (वीडियो) पोस्ट किया। अप्रैल माह आते-आते वह लगातार वीडियोज पोस्ट करने लगी। उनके यूट्यूब चैनल का नाम "जिंदगी मिलेगी दोबारा आरती व्लॉग" है।
एक-एक रुपये जोड़े, सीखी एडिटिंग
यूट्यूब चैनल कैसे बनाया जाए, वीडियो एडिट कैसे किया जाए जैसी तमाम जरूरी बातें आरती ने यूट्यूब से ही सीखीं। उनकी कहानी सुनकर लोग मदद को आगे आने लगे। आज की भाषा में कहें तो "क्राउड फन्डिंग" होने लगी। वे कहती हैं कि मैंने सब्सक्राइबर्स को इलाज से जुड़ी हर एक बात बताई। किसी ने 100, किसी ने 200 किसी ने 1000 रुपये दिए। सबसे ज्यादा 1 लाख रुपये दक्षिण अफ्रीका निवासी भारतीय मूल की एक महिला ने दिए। मैंने एक-एक रुपये जोडऩा शुरू किया। 6 माह बाद ही करीब 9 लाख रुपये की रकम इक_ा हो गई। यह रकम ऑपरेशन के लिए पर्याप्त थी।
इंदौर में हुआ ऑपरेशन
ऑपरेशन कहाँ होगा, कैसे होगा, कितना खर्च आएगा, आरती ने यह सब कुछ पहले ही तय कर लिया था। वे कहती हैं कि पिछले ही माह 10 अगस्त को पति के साथ ऑपरेशन कराने इंदौर के अस्पताल पहुँची। मुझे पता था कि ऑपरेशन के 3 माह बाद तक यहीं रहना होगा, इसलिए अस्पताल के नजदीक ही रहने की व्यवस्था की, परिवार वाले भी साथ थे। 16 अगस्त को दीपक अस्पताल में भर्ती हुए। ऑपरेशन की डेट 19 अगस्त तय हुई। वह दिन, जिसका इंतजार मैं लगभग 9 माह से कर रही थी। ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा। अभी मैं पति के साथ इंदौर में ही हूँ।
चाह लें तो सब मुमकिन
Created On :   9 Sept 2021 2:05 PM IST