टी पार्टी का बहिष्कार, विपक्ष ने कहा - आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला, फिर क्यों निभाएं परंपरा

Opposition boycott tea party : Assurance is not being followed by government
टी पार्टी का बहिष्कार, विपक्ष ने कहा - आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला, फिर क्यों निभाएं परंपरा
टी पार्टी का बहिष्कार, विपक्ष ने कहा - आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला, फिर क्यों निभाएं परंपरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानसभा के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार की ओर से दी जाने वाली चाय पार्टी का विपक्ष ने बहिष्कार किया है। मंगलवार को विपक्ष ने यह कहकर चाय पार्टी का बहिष्कार किया कि सरकार हर मामले में विफल है। 4 वर्ष में आश्वासन तो बहुत दिए, निर्णय भी लिए, लेकिन उसका पालन हीं नहीं हो पाता है। सरकार केवल जुमलेबाजी तक सीमित है।

मंगलवार को विपक्ष ने विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील और विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने कई प्रश्नों को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाए। किसानों की कर्ज माफी, किसान आत्महत्या नियंत्रण, किसानों को कर्ज वितरण, औद्योगिक निवेश, विदर्भ में सिंचाई परियोजना का अनुशेष, निवेश की कमी, मुंबई के विकास प्रारुप के मामले समेत अन्य मामलों का जिक्र करते हुए विपक्ष ने दावा किया कि दोनों सदन में सरकार के असफल कामकाज का दस्तावेज पेश किया जाएगा। 13 दिन कामकाज होगा। प्रतिदिन विपक्ष की बैठक होगी। एकजुटता के साथ सरकार के विरोध में दोनों सदन में प्रश्न उठाए जाएंगे। सरकार राज्य की विविध समस्याओं को दूर करने की चुनौती को स्वीकार नहीं पा रही है। सरकार फिटनेस चैलेंज का प्रचार तो कर सकती है पर सरकार के समक्ष सारी चुनौतियां फिसल रही है। 

ऐसी धोखेबाज सरकार कभी नहीं देखी - विखे पाटील
राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि सरकार ने आश्वासनों के नाम पर केवल धोखेबाजी की है। ऐसी धोखेबाज सरकार कभी नहीं आई। राज्य में किसान कर्जमाफी का खूब प्रचार हुआ। 18 प्रतिशत को ही कर्ज वितरित किया जा सका है। बैंक वाले मनमानी कर रहे हैं। सरकार ने मुहुर्त देखकर बुधवार को सत्र आरंभ करने का निर्णय लिया। मुहुर्त से सरकार नहीं चलती है। सरकार चलाने के लिए इच्छाशक्ति चाहिए। राज्य में कर्ज माफी की घोषणा के बाद 11 माह में 2700 किसानों ने आत्महत्या की है। सरकार किसान आत्महत्या के रिकार्ड को दबाने का काम भी करने लगी है।

नागपुर व विदर्भ को ही कुछ दे जाते - मुंडे
4 वर्ष में सरकार ने नागपुर व विदर्भ को भी कुछ नहीं दिया है। नागपुर क्राइम कैपिटल बन चली है। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री को अतिरिक्त सुरक्षा की मांग करनी पड़ रही है। विदर्भ में एक भी उद्योग नहीं लग पाया है। नागपुर में मानसून सत्र का विरोध नहीं है। पर यह साफ नहीं है कि सरकार ने यहां यह सत्र लेने का निर्णय क्यों लिया। नागपुर या विदर्भ के लिए ऐसा कोई काम नहीं किया गया कि सरकार का अभिनंदन किया जाए। न्यायालय में शपथपत्र देकर भी सरकार उसपर अमल नहीं कर पाती है। विदर्भ में लंबित सिंचाई परियोजनाओं के मामले में ऐसा ही हुआ है।
धनंजय मुंडे, नेता प्रतिपक्ष, विधानपरिषद

Created On :   3 July 2018 6:10 PM IST

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