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बिलो रेट टेंडर के सिक्योरिटी डिपॉजिट की जांच के आदेश
डिजिटल डेस्क, नागपुर। निर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के चलते टेंडर रेट से कम रेट पर ठेकेदार काम कर रहे हैं, जिसे बिलो रेट टेंडर कहा जाता है। बिलों रेट टेंडर लेने पर ठेकेदार काम अधूरा छोड़ चला न जाए, इसलिए ठेकेदार से सिक्योरिटी डिपॉजिट लेने के बाद कार्यादेश दिए जाते हैं। काम पूरा होने के बाद ठेकेदार को सिक्योरिटी डिपॉजिट लौटाई जाती है। नगरसेवक विधायक प्रवीण दटके ने ठेकेदार और लोकनिर्माण विभाग की साठ-गांठ से बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाया है। महापौर ने इस मामले की जांच करने के लिए स्थापत्य समिति सभापति की अध्यक्षता में समिति गठित कर एक महीने में रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने के निर्देश दिए।
एक मामले में क्लर्क निलंबित
सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लिया गया डीडी काम पूरा होने से पहले ही ठेकेदार द्वारा विड्रॉल करने का एक मामला सामने आया है। पोल खुलने पर ठेकेदार से रकम वापस लेकर विभाग के क्लर्क को निलंबित किया गया। दटके ने आरोप लगाया कि ऐसे कई मामले हैं, जिसमें क्लर्क से लेकर कार्यकारी अभियंता तक सभी शामिल हैं। दाेषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। काम पूरा होने से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट विड्रॉल करना आर्थिक धोखाधड़ी है।
पांच साल में 1867 बिलो रेट टेंडर
महानगरपालिका ने पांच साल में 3721 टेंडर दिए, जिसमें से 1867 टेंडर बिलो रेट हैं। बिलो रेट टेंडर लेने वाले ठेकेदारों से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में 22 करोड़, 18 लाख रुपए जमा हुए। मनपा के पास जमा सिक्योरिटी डिपॉजिट कार्यादेश जारी करने से पहले हुई या बाद में इसका प्रशासन ने सदन में लेखा-जोखा नहीं दिया।
बचाव के लिए खानापूर्ति
दटके ने आरोप लगाया कि एक मामला उजागर होने पर बचाव के लिए ठेकेदारों से डिपॉजिट लेकर खानापूर्ति की गई है। एक ठेके के लिए बनाया गया डीडी दूसरे ठेके की फाइल में जोड़ने का फॉर्मूला भी अपनाया गया है।
Created On :   2 Jan 2022 3:57 PM IST