मृतक के परिवार को 16.20 लाख मुआवजा देने का आदेश- अदालत ने लगाई 10 हजार कॉस्ट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने न्यायालय का समय बर्बाद करने वाले एक विचाराधीन कैदी की याचिका खारिज की, साथ ही उस पर 10 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगा दी। याचिकाकर्ता का नाम अंकित बिरनवार (22) है, उस पर गोंदिया के राम नगर पुलिस थाने में भादवि 302, 201, 364–ए और 120–बी के तहत मामला दर्ज है।
पूरा प्रकरण यह है
दर्ज मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता ने 30 लाख रुपए की फिरौती के लिए क्षेत्र के ही 20 वर्षीय सौरभ नामक युवक की अपहरण की साजिश रची थी। 15 दिसंबर 2019 को आरोपी ने सौरभ को फोन करके एक निर्जन स्थान पर किसी काम के बहाने बुलाया, इसके बाद सौरभ कभी घर नहीं लौटा। परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दी। बाद में उसका शव सेलोटेप से बंधा हुआ एक पुल के नीचे मिला। पुलिस ने इस मामले की जांच की और अंकित को धर दबोचा। पुलिस ने 13 मार्च 2020 को इस मामले की जांच पूरी करके निचली अदालत में चार्जशीट दायर की। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके जमानत प्रदान करने और पुलिस को प्रकरण की नए सिरे से दोबारा जांच के आदेश प्रार्थना की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि प्रकरण में आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत है। वहीं चार्जशीट दायर होने के डेढ़ वर्ष बाद आरोपी ने याचिका दायर की। उसमें भी जमानत की प्रार्थना की, जबकि निचली अदालत उसकी जमानत अर्जी खारिज कर चुकी है। ऐसे में कोर्ट ने माना कि यह याचिका के रूप में जमानत पाने का एक विफल प्रयास है और यह एक प्रकार से सिस्टम से खिलवाड़ करने जैसा है।
Created On :   17 April 2023 6:33 PM IST