Pune City News: दाऊद के साथी सादिक का पुलिस ने किया था एनकाउंटर

दाऊद के साथी सादिक का पुलिस ने किया था एनकाउंटर
  • अश्विन नाइक भी पुणे में छिपकर रह रहा था
  • पाकिस्तानी एजेंटों और दाऊद गिरोह का पुणे में जाल

भास्कर न्यूज, पुणे। दाऊद गिरोह का कुख्यात बदमाश सादिक इस्माइल शेख उर्फ बड़ा राजा 13 दिसंबर 1997 को मुंबई में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उससे पहले वह पुणे के कोंढवा इलाके में रह रहा था। यह जानकारी पुलिस को उसके साथियों से मिली। उसी समय छोटा राजन गिरोह के बड़े गुंडे, कल्याण–डोंबिवली क्षेत्र के गिरोह प्रमुख सुरेश मंचेकर और उदय मांजरेकर, गवली गिरोह के सदामामा पावले, दिलीप कुलकर्णी उर्फ डी.के., अशोक चौधरी उर्फ छोटा बाबू, गणेश भोसले उर्फ वकील और मुंबई के अन्य कई अपराधी शहर के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय थे। इतना ही नहीं, पिछले वर्ष बांग्लादेश सीमा पर पकड़ा गया अश्विन नाइक भी कुछ समय तक पुणे में ही छिपकर रह रहा था।

29 अगस्त 1998 को छोटा राजन गिरोह का कुख्यात बदमाश बालू ढोकरे और उसके साथी डेक्कन जिमखाना इलाके में पुलिस के हत्थे चढ़े। उन्होंने कोल्हापुर जिले के गडहिंग्लज में दो हत्याएं की थीं और आश्रय के लिए पुणे के ही अपराधी दत्ता खाड़े के पास आए थे। हालांकि, सुशील हाडकर नामक वांछित अपराधी उस समय पुलिस की पकड़ से निकल भागा। राजन गिरोह की शहर में सक्रियता एक और घटना से उजागर हुई। 24 सितंबर 1998 को जनता सहकारी बैंक के अध्यक्ष हरिभाऊ मिरासदार को उनके घर में घुसकर पिस्तौल की नोक पर धमकाया गया। यह विवाद मुंबई के एक व्यापारी के साथ बैंक के लेन-देन से जुड़ा था। इसी साल 22 मई 1998 को पुणे के बड़े व्यापारी बालासाहब लड़कत के बेटे सागर की फिरौती के लिए हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कुख्यात बबलू श्रीवास्तव और इरफान गोगा गिरोह के अपराधियों को बिहार में पकड़ा गया। इस अपराध में अर्चना शर्मा नामक युवती भी शामिल थी। इससे पहले सभी आरोपी कोंढवा इलाके में रहते थे और उन्हें बबलू के लगातार फोन आते थे। यह गिरोह देशभर के उद्योगपतियों के बच्चों के अपहरण कर फिरौती वसूलने का धंधा करता था।

पाकिस्तानी एजेंटों और दाऊद गिरोह का पुणे में जाल

इन अपराधों के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट पुलिस के हत्थे चढ़े और यह साफ हो गया कि दाऊद गिरोह ने भी पुणे में पकड़ मजबूत कर ली है। आईएसआई का एजेंट सईद देसाई सहकारनगर इलाके से गिरफ्तार हुआ। वह खड़की और देहूरोड के आयुध कारखानों की गुप्त जानकारी पाकिस्तान भेज रहा था। जांच में यह भी सामने आया कि लश्कर क्षेत्र का रियाज पटेल और मोइनुद्दीन कुरैशी छोटा शकील गिरोह से जुड़े हुए थे। इसी दौरान गवली गिरोह के राजू कानड़ी और चंद्रकांत टकले 2 मई 1998 को मुंबई चौपाटी पर मृत पाए गए। दोनों कुछ दिन पहले ही जेल से छूटे थे। दोनों पर गोलियों से हमला किया गया था। मुंबई पुलिस की जांच में सामने आया कि यह हत्या छोटा शकील गिरोह के अजीजुद्दीन कुरैशी (निवासी कोंढवा, पुणे) ने की थी। उसे मई 1998 में लखनऊ से अत्याधुनिक हथियारों के साथ विशेष सुरक्षा बल ने गिरफ्तार किया। छोटा शकील के आदेश पर ही यह वारदात हुई थी। इस घटना ने गवली गिरोह की पुणे में गहरी पैठ का खुलासा किया। उस समय गवली खुद ‘टाडा’ कानून के तहत यरवड़ा जेल में बंद था। इसके बावजूद उसके गिरोह ने पुणे में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया। शहर के कई बड़े अपराधी, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता और बिल्डर इस गिरोह से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े पाए गए। व्यवसायियोंं से फिरौती या अन्य वसूली का सिलसिला शहर में शुरू हो गया। उसी समय कोल्हापुर जेल में बंद अश्विन नाइक के संपर्क में मेघनाद शेट्टी, राजेश पिल्ले, मुन्ना शेख और बाबा भोसले आए। इनकी गैंग की गतिविधियां यरवड़ा और पिंपरी–चिंचवड़ में फैलने लगीं। वहीं यरवड़ा और बंडगार्डन इलाके में रफीक शेख ने ठिकाना बना लिया था। अवैध वसूली और जमीन के सौदों को लेकर उसका गवली गिरोह से टकराव हुआ। इन झगड़ों में कई व्यापारी पिस गए और शहर का माहौल अस्थिर होने लगा था।

Created On :   6 Nov 2025 5:00 PM IST

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