Pune News: किसानों को नुकसान से बचाने के लिए जिलाधिकारी करेंगे मध्यस्थता

किसानों को नुकसान से बचाने के लिए जिलाधिकारी करेंगे मध्यस्थता
  • तलेगांव-उरुली रेलवे लाइन का मामला
  • कल फिर होगी सभी पक्षों की बैठक

भास्कर न्यूज, पिंपरी-चिंचवड़। तलेगांव दाभाड़े से उरुली कांचन तक 80 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बनाने के संबंध में प्रशासन तेजी से काम कर रहा है। इस बीच रेलवे लाइन से प्रभावित 15 से ज्यादा गांवों के नागरिकों ने प्रोजेक्ट का विरोध किया है। नागरिकों ने पालक मंत्री अजित पवार के समक्ष पक्ष रखा, जिस पर पवार ने जिलाधिकारी जितेंद्र डूडी की अध्यक्षता में बैठक रखने के निर्देश दिए थे। बाद में हुई बैठक में जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि 7 नवंबर को रेलवे अफसरों के साथ बैठक होगी और वे नागरिकों का नुकसान टालने के लिए मध्यस्थता करेंगे।

बैठक में जनप्रतिनिधियों के अलावा भूमि अधिग्रहण समन्वयक डॉ. कल्याण पांढरे सहित रेलवे लाइन से प्रभावित होने वाले खेड़ और मावल तहसील के किसान उपस्थित थे। बैठक में ग्रामीणों ने प्रस्तावित रेलवे लाइन पर आपत्ति जताई। रेलवे बायपास मार्ग का सर्वेक्षण 2023 में हुआ था। ग्रामीणों के अनुसार उस समय जमीनें खाली थीं। पिछले दो साल में कंपनियों और नागरिक बस्तियां बढ़ने के कारण अब खाली जगहें नहीं बची हैं। रेलवे लाइन कई गांवों के आवासीय क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।

छिन जाएगा आय का स्थायी साधन

क्षेत्र के नागरिकों ने जमीनें अब तक कई परियोजनाओं के लिए दी हैं। अब गांवों में सीमित जमीनें बची हैं। ऐसे में रोजी-रोटी के लिए खेती पर निर्भर नागरिकों को रेल परियोजना के कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार से नागरिकों को जमीन का मुआवजा तो मिलेगा, लेकिन किसानों को डर है कि इसके बदले उनसे स्थायी आय का साधन छिन जाएगा। कई लोग पैतृक जमीन को लगातार विभिन्न परियोजनाओं के लिए देने से भी इनकार कर रहे हैं।

वैकल्पिक रेल मार्ग बनाने पर जोर

7 नवंबर को रेल लाइन के संबंध में फिर ग्रामीणों और अफसरों की बैठक होगी। ग्रामीणों ने तैयारी की है कि यदि बैठक में संतोषजनक समाधान नहीं निकला, तो वे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर शिकायत करेंगे। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को भरोसा दिया है कि वर्तमान में तलेगांव दाभाड़े से उरुली कांचन रेलवे लाइन की योजना चल रही है। हम उस संबंध में हो रहे विरोध को देख रहे हैं। 7 नवंबर को भारतीय रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक होगी। बैठक में देखा जाएगा कि क्या रेलवे मार्ग बदला जा सकता है। हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को नुकसान न हो।

यह बोले जनप्रतिनिधि…

विधायक बाबाजी काले ने कहा कि रेलवे लाइन का विरोध करने वाले हर गांव में स्वतंत्र समिति स्थापित करना आवश्यक है। कई लोगों के घर वहां हैं। पालक मंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी के साथ बैठक हुई थी। सुनिश्चित करेंगे कि किसी का भी नुकसान न हो।

पूर्व विधायक दिलीप मोहिते ने कहा कि वर्तमान में खेड़ तहसील में छह-सात अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए किसानों ने जमीनें दी हैं। रेलवे परियोजना से 15 से अधिक गांव तबाह हो जाएंगे। पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) की अनुमति के बाद ग्रामीणों ने वहां घर बनाए हैं। मौजूदा योजना से कई व्यक्तियों का बड़ा नुकसान होगा, इसलिए वैकल्पिक समाधान खोजना ही चाहिए।

रेलवे परियोजना विरोध कृति समिति के सचिव तारकेश्वर कांबले ने कहा कि बैठक में जिलाधिकारी ने सकारात्मक रुख अपनाया है। जिलाधिकारी से अनुरोध है कि वे वैकल्पिक रेलवे मार्ग बनाएं।

रेलवे परियोजना के लिए आवश्यक जमीन

लंबाई: 80 किलोमीटर

कुल आवश्यक जमीन: 564 हेक्टेयर

निजी स्वामित्व वाली जमीन: 476 हेक्टेयर

सरकारी स्वामित्व वाली जमीन: 9 हेक्टेयर

वन विभाग के स्वामित्व वाली जमीन: 79 हेक्टेयर

Created On :   6 Nov 2025 5:15 PM IST

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