शराब दुकानों को लंबे समय तक बंद रखने का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ - हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आजीविका उपलब्ध करानेवाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने के लिए लंबी अवधि तक प्रतिबंध लगाना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन व निजी स्वंतत्रता का अधिकार) के सिंद्धांत के विपरीत है। ऐसे में अधिकारियों को इस तरह के प्रतिष्ठानों को बंद करने के बारे में आदेश जारी करते समय अधिक विचारशील होने की जरुरत है। बांबे हाईकोर्ट ने नाशिक,रायगढ ठाणे व पालघर जिले में स्नातक व शिक्षक निर्वाचन सीट के विधानपरिषद चुनाव के मद्देनजर शराब की दुकानों को बंद करने को लेकर लगाए गए प्रतिबंध के आदेश पर उपोरक्त बात कहीं है। इन चुनावों के मद्देनजर 28 जनवरी से 31 जनवरी 2023 तक शरीब की दुकाने बंद रखने को लेकर आदेश जारी किया गया था। जिसके खिलाफ ऑल इंडिया वाइन प्रोड्यूसर एसोसिएशन व एसोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव रिटेल लिकर वेंडर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि शराब की दुकानों को बंद रखने का आदेश सिर्फ 30 जनवरी (चुनाव के दिन) को ही लागू होगा। अन्य तारीखों पर(28,29 व 31 जनवरी) शराब की दुकाने बंद नहीं रहेगी। नाशिक स्नातक सीट पर चुनाव के मद्देनजर उप सचिव व सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से नाशिक इलाके में शराब की दुकानों को बंद करने को लेकर आदेश जारी किया गया था। इसी तरह कोकण विभाग में आनेवाले रायगढ,ठाणे व पालघर इलाके में शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के मद्देनजर शराब की दुकाने बंद रखने को लेकर जिलाधिकारी की ओर से आदेश जारी किया गया था।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अतुल दामले ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील अतुल दामले ने कहा कि स्नातक निर्वचान क्षेत्र के चुनाव को लेकर संबंधित क्षेत्र की शराब की दुकानों को बंद रखने को लेकर आदेश जारी किया गया है। जबकि इस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या सीमित होती है। ऐसे में दुकानों को चार दिनों के लिए बंद रखने को लेकर जारी किए गए आदेश से याचिकाककर्ता से जुड़े दुकानदारों का कारोबार करने व जीविका के अधिकार पर विपरीत असर पड़ेगा। सरकारी वकील ने दोनों याचिका का विरोध किया।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि लंबे समय तक दुकानों को बंद रखने से जुड़े आदेश से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार प्रभावित होते है। इसके अलावा वर्तमान चुनाव संसदीय चुनाव नहीं है। इसलिए उसके मानदंड मौजूदा स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव पर लागू नहीं किए जा सकते है। इसलिए दुकानों को बंद रखने का आदेश सिर्फ 30 जनवरी को लागू होगा। अन्य तारीखों पर नहीं। इस तरह न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ताओं को राहत प्रदान की।
Created On :   28 Jan 2023 1:26 PM IST